१
गठबन्धन री सरकार
पांगळै नै
साथै राखण रौ अळेपौ
जे नीं राखै
तौ ई स्यापौ।
२
मिनखपणौ
झूठ री नाव माथै
स्वार
मिनख जद
साच सूं परै टिप जावै
तौ मिनखपणौ
कांई लारै रैय जावै।
३
सत्तापख
पीयेड़ा
कांई कूंतंनै बोलै ?
घणकरा`क तौ
नाळियौ
मूतंनै खोलै।
४
डतरीउतार
खावै अर सोवै
सैंग सूं बेसी
पंण कांम मांय
लारै रैसी।
५
गरीब री मनवार
माचली रौ टूट्योड़ौ
बांण
बिठावै पंण
सवै कोनी
खींचातांण।
६
सीरवाळी
बूढै री
ब्यावली
ठाह नीं
कद तांईं रैयसी
कद भाज जावैली।
७
कविता
ज्यूं जपायत रै
पीड़ उठै
अर जाम्यां ई
पैंडौ छूटै।
८
कवि
जकै रै घरां
बटाऊ आंवता डरै
चाय-पाणी पछै
पैलां कविता करै।
९
सम्पादक
ठाडै रौ डोकौ
पाड़ै
डांग नै जकौ।
Friday, March 26, 2010
Wednesday, March 24, 2010
खाज अर राज
खाज अर राज
खाज खाज ई हुवै अर राज राज ! पण फेर ई दोनूंवां री परकीरती, ढंगढाळै अर रीत-नीत मांय इतणो मेळ है कै लागै स्यात आं री चोभ मांय किण ई भांत री दुभांत कोनी। अेक ई पाणी सूं सींचिजै दोनूं।
मानां कै राज मांय किण ई हद तांई गुमेज बापर आवै पण इण सूं अळगो ओ बी अेक साच है कै राज मांय जको मजो हुवै उण नै किण ई सबदां री सींव मांय कोनी बांध्यो जा सकै। गूंगै रो गुड़ हुवै ओ मजो ! अैन खाज रै मजै दांई ! खाज मांय मिनख जिंयां जिंयां आपरै डील नै कुचरतो जावै ओ मजो और ई बधतो जावै। खुरड़तां-खुरड़तां चामड़ खुरड़ीजै भलां ई पण खाज रो मजो खतम कोनी हुवै। केई-केई तो लाई हाथां नुंवां सूं ई कोनी सारै, छुरियो का दांती सूं बी लाग जावै।
बियां आ तो थे पकायत ई मानता हुयसी कै जे किण चीज मांय खास रस का मजो नीं हुवै तो बा घणै बखत तांई चायिजती कोनी रैय सकै। मिनख रो ओ सुभाव हुवै है कै बो किण ई अेक थिति, किण ई अेक मिनख का किण ई अेक चीज सूं उतावळी ई थक-अक जावै। हां.. जे लोक-लिहाज सूं का ठड्डो कर`र कीं धिकावणो ई चावै, तो ई दो-च्यार पांवडा धकै बध`र पग फ्या देवै। पण खाज अर राज सारू आ बात लागू कोनी हुवै। राज रो चस्को अेकर लाग्यो अर लाग्यो। पछै पाछ कोनी देवै। बियां तो आपणै अठै साठ साल री उमर पछै सरकार नौकरी सूं रिटायर ई कर देवै पण राज मांय रैवण री कोई उमर तै कोनी। 'साठी बुध न्हाठी` हुवै तो हुवो भलां ई। नाड़ हालण लागै तो लागो भलां ई। सूझणो-बूझणो नीं हुवै तो नीं सई। राज कोनी छोडिजै। हुंवण नै तो इण देस मांय 'लोक तन्त्र` है। लोक रो तंत्र है तो लोक नै बांधण रा आंटा ई घणा है। 'आरक्षण` री लाव सूं तकड़ी जेवड़ी और कांई हुय सकै ही! अर इंयां सगळां सारू राज रो मजो 'संवैधानिक` हक हुयग्यो। पण हक हुयां सूं कांई हुवै ! मजा तो लेवणिया ई लेयसी। जका अेकर राज रै चौभींतै मांय बड़ग्या, पूठा जावण रो बै तो नांव लेवै आथ नीं। लागू करता रैवै आरक्षण मोकळो। थांनै-म्हनै कांई ठाह ! ओ ई तो बां रो आंटो है। सांप ई मर जावै अर लाठी ई नीं टूटै। कांई हुयो जे आरक्षण रै तांण किण ई दूजै नै राज रै इण चौभींतै मांय बाड़ लियो। असल मांय बां रै मगरां माथै हाथ तो आं रो ई है। नींतर बां नै कांई ठाह राज किण नै कैवै। बांदर रै हाथ मांय दे देवो नारेळ ! दड़ी बणाय`र रूड़ांवतो भलां ई रैवै। मजाक है फोड़`र खा लेवै ! बीं लाई नै कांई ठाह फोड़`र खावण रो मजो ? नारेळ तो फोड़णिया ई फोड़सी। मजा तो लेवणिया ई लेयसी। राज तो करणिया ई करसी। राज रो कांई ! राज तो बेटा, पोता, रिस्तेदारां अर अठै तांई कै आपरै कारू-कुरबां तकात रै मिस ई हुय जावै। पण राज हुवै आं रै कनै ई है।
कांई कैयो... सरम ? सरम किण री सा ! अर संको किण बात रो ? आ बात तो थे-म्हे ई सोच सकां हां जकां नै नां तो राज रै मजै रो ठाह अर नां खाज रै ! खाज करतां करतां तो मिनख इतणो मगन हुय जावै है जाणै आखी धरती माथै बीं सूं दूजो और कोई नीं है। गळी बगतां, दफतर मांय काम करतां, रिस्तेदारी मांय, घर मांय, आंगणै-बारणै मांय, छोरी छापरी अर टाबरां तकात रै साम्ही ई खाज करतो मिनख इस्यो रम जावै है कै हाथां-पगां री तो छोडो, कदे कदे तो नीं बतावणजोग जिग्यां ई कुचरण लागै तो कुचरतो ई जावै। कुचरतो कुचरतो जाणै किण ई दूजै लोक मांय जा पूगै। साम्ही कुण बैठ्यो है कुण नीं, दर ई होस नीं रैवै।
असल मांय खाज रो मजो ई इस्यो हुवै, इण मांय बिच्यारै मिनख रो कांई खोट ! खोट है कुदरत रो। जकी किण किण ई चीज नै इतणी रसाळ बणा देवै है कै छोडण रो जी ई कोनी करै। खाज करतो-खुरड़तो मिनख भलां ई लोही-झार हुय जावै। राज करतो-भोगतो मिनख, भैंस रा गाय तळै अर गाय रा भैंस तळै करतां, धोळां नै काळा करतां अर काळां नै धोळा करतां-करांवतां छेकड़ धोळां मांय धूड़ गेर लेवै पण राज अर खाज रो मजो.....? ओ हो...हो....छोड देवो थे बात ! इस्यै मांय किंयां छुटै राज अर किंयां छुटै खाज ! आपां तो आ ई कैय सकां कै अै दोनूं भागी रै ई हाथ आवै।
खाज खाज ई हुवै अर राज राज ! पण फेर ई दोनूंवां री परकीरती, ढंगढाळै अर रीत-नीत मांय इतणो मेळ है कै लागै स्यात आं री चोभ मांय किण ई भांत री दुभांत कोनी। अेक ई पाणी सूं सींचिजै दोनूं।
मानां कै राज मांय किण ई हद तांई गुमेज बापर आवै पण इण सूं अळगो ओ बी अेक साच है कै राज मांय जको मजो हुवै उण नै किण ई सबदां री सींव मांय कोनी बांध्यो जा सकै। गूंगै रो गुड़ हुवै ओ मजो ! अैन खाज रै मजै दांई ! खाज मांय मिनख जिंयां जिंयां आपरै डील नै कुचरतो जावै ओ मजो और ई बधतो जावै। खुरड़तां-खुरड़तां चामड़ खुरड़ीजै भलां ई पण खाज रो मजो खतम कोनी हुवै। केई-केई तो लाई हाथां नुंवां सूं ई कोनी सारै, छुरियो का दांती सूं बी लाग जावै।
बियां आ तो थे पकायत ई मानता हुयसी कै जे किण चीज मांय खास रस का मजो नीं हुवै तो बा घणै बखत तांई चायिजती कोनी रैय सकै। मिनख रो ओ सुभाव हुवै है कै बो किण ई अेक थिति, किण ई अेक मिनख का किण ई अेक चीज सूं उतावळी ई थक-अक जावै। हां.. जे लोक-लिहाज सूं का ठड्डो कर`र कीं धिकावणो ई चावै, तो ई दो-च्यार पांवडा धकै बध`र पग फ्या देवै। पण खाज अर राज सारू आ बात लागू कोनी हुवै। राज रो चस्को अेकर लाग्यो अर लाग्यो। पछै पाछ कोनी देवै। बियां तो आपणै अठै साठ साल री उमर पछै सरकार नौकरी सूं रिटायर ई कर देवै पण राज मांय रैवण री कोई उमर तै कोनी। 'साठी बुध न्हाठी` हुवै तो हुवो भलां ई। नाड़ हालण लागै तो लागो भलां ई। सूझणो-बूझणो नीं हुवै तो नीं सई। राज कोनी छोडिजै। हुंवण नै तो इण देस मांय 'लोक तन्त्र` है। लोक रो तंत्र है तो लोक नै बांधण रा आंटा ई घणा है। 'आरक्षण` री लाव सूं तकड़ी जेवड़ी और कांई हुय सकै ही! अर इंयां सगळां सारू राज रो मजो 'संवैधानिक` हक हुयग्यो। पण हक हुयां सूं कांई हुवै ! मजा तो लेवणिया ई लेयसी। जका अेकर राज रै चौभींतै मांय बड़ग्या, पूठा जावण रो बै तो नांव लेवै आथ नीं। लागू करता रैवै आरक्षण मोकळो। थांनै-म्हनै कांई ठाह ! ओ ई तो बां रो आंटो है। सांप ई मर जावै अर लाठी ई नीं टूटै। कांई हुयो जे आरक्षण रै तांण किण ई दूजै नै राज रै इण चौभींतै मांय बाड़ लियो। असल मांय बां रै मगरां माथै हाथ तो आं रो ई है। नींतर बां नै कांई ठाह राज किण नै कैवै। बांदर रै हाथ मांय दे देवो नारेळ ! दड़ी बणाय`र रूड़ांवतो भलां ई रैवै। मजाक है फोड़`र खा लेवै ! बीं लाई नै कांई ठाह फोड़`र खावण रो मजो ? नारेळ तो फोड़णिया ई फोड़सी। मजा तो लेवणिया ई लेयसी। राज तो करणिया ई करसी। राज रो कांई ! राज तो बेटा, पोता, रिस्तेदारां अर अठै तांई कै आपरै कारू-कुरबां तकात रै मिस ई हुय जावै। पण राज हुवै आं रै कनै ई है।
कांई कैयो... सरम ? सरम किण री सा ! अर संको किण बात रो ? आ बात तो थे-म्हे ई सोच सकां हां जकां नै नां तो राज रै मजै रो ठाह अर नां खाज रै ! खाज करतां करतां तो मिनख इतणो मगन हुय जावै है जाणै आखी धरती माथै बीं सूं दूजो और कोई नीं है। गळी बगतां, दफतर मांय काम करतां, रिस्तेदारी मांय, घर मांय, आंगणै-बारणै मांय, छोरी छापरी अर टाबरां तकात रै साम्ही ई खाज करतो मिनख इस्यो रम जावै है कै हाथां-पगां री तो छोडो, कदे कदे तो नीं बतावणजोग जिग्यां ई कुचरण लागै तो कुचरतो ई जावै। कुचरतो कुचरतो जाणै किण ई दूजै लोक मांय जा पूगै। साम्ही कुण बैठ्यो है कुण नीं, दर ई होस नीं रैवै।
असल मांय खाज रो मजो ई इस्यो हुवै, इण मांय बिच्यारै मिनख रो कांई खोट ! खोट है कुदरत रो। जकी किण किण ई चीज नै इतणी रसाळ बणा देवै है कै छोडण रो जी ई कोनी करै। खाज करतो-खुरड़तो मिनख भलां ई लोही-झार हुय जावै। राज करतो-भोगतो मिनख, भैंस रा गाय तळै अर गाय रा भैंस तळै करतां, धोळां नै काळा करतां अर काळां नै धोळा करतां-करांवतां छेकड़ धोळां मांय धूड़ गेर लेवै पण राज अर खाज रो मजो.....? ओ हो...हो....छोड देवो थे बात ! इस्यै मांय किंयां छुटै राज अर किंयां छुटै खाज ! आपां तो आ ई कैय सकां कै अै दोनूं भागी रै ई हाथ आवै।
अथ हांडी कथा
अथ हांडी कथा
पेट री आग सैंग सूं भूंडी हुवै। आंगळियां माथै गिणिजणजोग देसां नै टाळ देवां तो सैंग रा सैंग देस इण आग सूं लड़ै ! आपणी तो संस्कीरती ई इण ढाळै री ही। धरती निपजती उण साल सगळो नाज कोठ्यारां मांय जा लुकतो अर इंयां काळ-दुकाळ सोरा टिप जांवता। हाल बखत कीं बदळग्यो पण संस्कार कांई सोरा-सा बदळिजै ? आज ई पढेसरी टाबर नौकरी लागै का दूजै किण ई हीलै, बूढियां रै मंूडै सूं मतै ई निसर जावै, 'चलो रैय...हांडीआळो बार तो मूंदिज्यो...!
हांडी मिनख री 'प्राथमिक` जुरत हुवै। हांडीआळो बार मूंदिज्यो अर मिनख धूंसिज्यो। जिंयां किरकेट मांय 'बैट्समैन` सौ रै आंकड़ै नै पार करतां ई धू..आ..धू लाग जावै।
हांडी रा केई रूप हुवै। अळगी अळगी जिग्यां उण रा नांव ई अळगा अळगा हुवै पण मूल बो ई रैवै। ...गोळ पींदो...चौड़ा कानां। कानां माथै चेतै आयी.... अेक कैवत है नीं, हांडी रीसाणी हुय`र आपरा काना ई तो बाळसी। ब्होत अजीब बात है सा ! हांडी उकळ`र आपरा काना ई बाळ सकै.... और कीं नीं कर सकै ? मतलब कै सैंग सूं कमजोर हुवै हांडी ? चलो सा... कमजोर ई समझल्यो ! क्यूंकै पैली बात तो हांडी माटी री हुवै अर दूजी बा हुवै ई गरीब री है। गरीब मतलब छेकड़लो मिनख। छेकड़लो मतलब जमीन सूं जुड़ेड़ो। अबैं... सोचो थे। जमीन री तलास करता करता तो चोखा चोखा अर खांमखां ई आपरी जूण होम करग्या। फलाणो परधानमंतरी ? अरै सा ! बै तो जमीन सूं जुड़ेड़ा मिनख है। फलाणो साहितकार ? बां रो तो कैवणो ई कांई.... इण री जमीन रा जाया-जलम्या है। बां री भासा जमीन सूं उठ्योड़ी है... लोक सूं उठ्योड़ी। अेक अेक सबद सूं माटी री सौरम आवै जाणै। अर अै ? अै फलाणाराम जी है। कनाडा मांय ठाडो बौपार है आं रो। हाल तीजी पीढी चालै पण अजै तांई सालोसाल आंवता रैवै अठै। ब्होत हेत है आंनै अठै री माटी सूं... आपरी माटी सूं।
अबैं बोलो थे ! आ बा ई माटी है जकी सूं हांडी बणै। अबार ई कैय सको थे... कै हांडी कमजोर हुवै ?
खैर... कीं और पड़ताळ करां। हांडी रा केई रूप हुवै। न्यारा न्यारा रूप अर न्यारी न्यारी बरत्यूं। हांडी रै रूप मांय पाणी तो घलै ई घलै... दळियो-खीचड़ी बी रांधीजै। बिंयां कदे कदे पकवानां (गरीबां रा ई) रो ई नम्बर पड़ जावै। लापसी बणै तो हांडी मांय, ढोकळा बणै तो हांडी मांय अर... । खैर.. आगै सरकां ! दूजो रूप है कढावणी रो। दूध उकाळण सारू। दूध बिलोवणै सारू हांडी बिलोवणो हुय जावै। कीं और ठाडी हुय`र बा माट हुय जावै तो छोटी हुंवती हुंवती कुलड़ियो। कुल मिलाय`र बात आ है कै इण कूणै सूं उण कूंणै तांई हांडी ई हांडी दीसै। आखै घर मांय हांडी सूं अळगो कीं नीं हुवै जाणै। .....थारै जची कोनी स्यात ! खैर जाणद्यो, अेक बात बताओ ! मिंदर मांय चोभ री जिग्यां कुणसी हुवै सा ? गरभघर ई नीं...जठै देवळी थरपीजै ? तो मिंदर मांय सैंग सूं अबोट जिग्यां हुयी गरभघर ! अर घर मांय ? थे कैयस्यो रसोई। अर रसोई मांय सगळो काम-धाम हुवै हांडी रो। अबैं बताओ हांडी सूं बेसी कीमती और कांई हुय सकै..।
हां, आजकलै जमानो कीं फुरग्यो लागै। गरीब रै घरां बी माटी री जिग्यां 'स्टील` लेली। हांडी रसोई सूं अलोप हुय`र माची हेटै का बाड़ै मांय गोबर थापणआळी ठौड़ जा बैठी। कांई कर सकां सा ! आजकलै हरेक चीज उतावळी ई 'आऊट डेटेड` हुय जावै। गाभां री दुकान मांय जावां तो हजारूं डिजाइन रो गाभो हुवै भलां ई पण महीनो ई कोनी निसरै कै सैंग रो सैंग 'आऊटडेटेड` ! फलाणो फैसन 'आऊटडेटेड`। फलाणो खिलाड़ी आऊटडेटेड... फलाणी चीज आऊट...। बिच्यारी हांडी रो तो डौळ ई कांई ! अर फेर कद रोपण लागी ही पग... कांई आज री बात है ? दुनियां मांय सैंग सूं जूनी सभ्यता है सिंधु सभ्यता। सिंधु सभ्यता पूरी री पूरी माटी री सभ्यता ही। बठै काळीबंगा मांय जाय`र देखो दखां ! हांडी कांई इतणी ठाडी हुया करै ? आखै गाम नै जीमा देवो भलां ई।
लारलै पांच हजार साल सूं चालतो आवै हो हांडी रो ओ राज। आज तांई इण सूं बेसी लाम्बो राज किण रो ई नीं हुयो। पण इब ? इब तो जाणै सगळां नाक ई रगड़ लीवी। माटी री हांडी ? छी...छी...। 'बैकवर्ड` हो कांई ? वाह सा वाह ! हांडी बपरायां सूं बैकवर्ड हुयीजै। कुण कैवै आ बात... बै ई भण्या गुण्या नीं जका सिंधु सभ्यता री बात करता थकां गुमेज करै अर ...अर हांडी री बात करतां सरम आवै... बैकवर्ड मानीजै ?
इब कुण बतावै बां नै। अरै भला माणसो ! जे थांनै हांडी सूं इतणी ई चिब है तो हांडी री जिग्यां देगचो क्यूं लेय`र आवो (देगचो बी हांडी रै डौळ बरगो हुवै, कांई हुयो जे बो माटी रो कोनी हुवै) ? इस्यो भांडो ल्यावो दखां जकै रै पींदो ऊपर अर मूंडो हेटै हुवै। का फेर हांडी सूं इतणी ई घिरणा है थांनै तो जेठ मांय पाणी स्टील रै बरतन मांय घाल्या करो। जद तो.. 'मां अे ! सुभानआळै घरां सूं कोरी माट लेय`र आयी अेक`।
हांडी माटी री ई हुया करै, काठ री नीं। हांडी बिनां सरै कोनी अर नीं सरै माटी बिनां। घर घर माटी रा चूल्हा अर माटी री ई हांडी। हांडी सूं दूर नां हुवो। माटी सूं दूर हुय जास्यो... अर हळवां हळवां इतियास सूं ई ! अर जे अचाणचक ई किण ई सेंटरियै मंंतरी रै चित्त चढगी तो ओजूं घर घर माटी री हांडी हुय जासी। पछै ले लेईयो दखां छिंटा ?
पूर्ण ार्मा 'पूरण`
प्रा० स्वा० के० रामगढ़
त० नोहर, जिला- हनुमानगढ़
९८२८७६३९५३
पेट री आग सैंग सूं भूंडी हुवै। आंगळियां माथै गिणिजणजोग देसां नै टाळ देवां तो सैंग रा सैंग देस इण आग सूं लड़ै ! आपणी तो संस्कीरती ई इण ढाळै री ही। धरती निपजती उण साल सगळो नाज कोठ्यारां मांय जा लुकतो अर इंयां काळ-दुकाळ सोरा टिप जांवता। हाल बखत कीं बदळग्यो पण संस्कार कांई सोरा-सा बदळिजै ? आज ई पढेसरी टाबर नौकरी लागै का दूजै किण ई हीलै, बूढियां रै मंूडै सूं मतै ई निसर जावै, 'चलो रैय...हांडीआळो बार तो मूंदिज्यो...!
हांडी मिनख री 'प्राथमिक` जुरत हुवै। हांडीआळो बार मूंदिज्यो अर मिनख धूंसिज्यो। जिंयां किरकेट मांय 'बैट्समैन` सौ रै आंकड़ै नै पार करतां ई धू..आ..धू लाग जावै।
हांडी रा केई रूप हुवै। अळगी अळगी जिग्यां उण रा नांव ई अळगा अळगा हुवै पण मूल बो ई रैवै। ...गोळ पींदो...चौड़ा कानां। कानां माथै चेतै आयी.... अेक कैवत है नीं, हांडी रीसाणी हुय`र आपरा काना ई तो बाळसी। ब्होत अजीब बात है सा ! हांडी उकळ`र आपरा काना ई बाळ सकै.... और कीं नीं कर सकै ? मतलब कै सैंग सूं कमजोर हुवै हांडी ? चलो सा... कमजोर ई समझल्यो ! क्यूंकै पैली बात तो हांडी माटी री हुवै अर दूजी बा हुवै ई गरीब री है। गरीब मतलब छेकड़लो मिनख। छेकड़लो मतलब जमीन सूं जुड़ेड़ो। अबैं... सोचो थे। जमीन री तलास करता करता तो चोखा चोखा अर खांमखां ई आपरी जूण होम करग्या। फलाणो परधानमंतरी ? अरै सा ! बै तो जमीन सूं जुड़ेड़ा मिनख है। फलाणो साहितकार ? बां रो तो कैवणो ई कांई.... इण री जमीन रा जाया-जलम्या है। बां री भासा जमीन सूं उठ्योड़ी है... लोक सूं उठ्योड़ी। अेक अेक सबद सूं माटी री सौरम आवै जाणै। अर अै ? अै फलाणाराम जी है। कनाडा मांय ठाडो बौपार है आं रो। हाल तीजी पीढी चालै पण अजै तांई सालोसाल आंवता रैवै अठै। ब्होत हेत है आंनै अठै री माटी सूं... आपरी माटी सूं।
अबैं बोलो थे ! आ बा ई माटी है जकी सूं हांडी बणै। अबार ई कैय सको थे... कै हांडी कमजोर हुवै ?
खैर... कीं और पड़ताळ करां। हांडी रा केई रूप हुवै। न्यारा न्यारा रूप अर न्यारी न्यारी बरत्यूं। हांडी रै रूप मांय पाणी तो घलै ई घलै... दळियो-खीचड़ी बी रांधीजै। बिंयां कदे कदे पकवानां (गरीबां रा ई) रो ई नम्बर पड़ जावै। लापसी बणै तो हांडी मांय, ढोकळा बणै तो हांडी मांय अर... । खैर.. आगै सरकां ! दूजो रूप है कढावणी रो। दूध उकाळण सारू। दूध बिलोवणै सारू हांडी बिलोवणो हुय जावै। कीं और ठाडी हुय`र बा माट हुय जावै तो छोटी हुंवती हुंवती कुलड़ियो। कुल मिलाय`र बात आ है कै इण कूणै सूं उण कूंणै तांई हांडी ई हांडी दीसै। आखै घर मांय हांडी सूं अळगो कीं नीं हुवै जाणै। .....थारै जची कोनी स्यात ! खैर जाणद्यो, अेक बात बताओ ! मिंदर मांय चोभ री जिग्यां कुणसी हुवै सा ? गरभघर ई नीं...जठै देवळी थरपीजै ? तो मिंदर मांय सैंग सूं अबोट जिग्यां हुयी गरभघर ! अर घर मांय ? थे कैयस्यो रसोई। अर रसोई मांय सगळो काम-धाम हुवै हांडी रो। अबैं बताओ हांडी सूं बेसी कीमती और कांई हुय सकै..।
हां, आजकलै जमानो कीं फुरग्यो लागै। गरीब रै घरां बी माटी री जिग्यां 'स्टील` लेली। हांडी रसोई सूं अलोप हुय`र माची हेटै का बाड़ै मांय गोबर थापणआळी ठौड़ जा बैठी। कांई कर सकां सा ! आजकलै हरेक चीज उतावळी ई 'आऊट डेटेड` हुय जावै। गाभां री दुकान मांय जावां तो हजारूं डिजाइन रो गाभो हुवै भलां ई पण महीनो ई कोनी निसरै कै सैंग रो सैंग 'आऊटडेटेड` ! फलाणो फैसन 'आऊटडेटेड`। फलाणो खिलाड़ी आऊटडेटेड... फलाणी चीज आऊट...। बिच्यारी हांडी रो तो डौळ ई कांई ! अर फेर कद रोपण लागी ही पग... कांई आज री बात है ? दुनियां मांय सैंग सूं जूनी सभ्यता है सिंधु सभ्यता। सिंधु सभ्यता पूरी री पूरी माटी री सभ्यता ही। बठै काळीबंगा मांय जाय`र देखो दखां ! हांडी कांई इतणी ठाडी हुया करै ? आखै गाम नै जीमा देवो भलां ई।
लारलै पांच हजार साल सूं चालतो आवै हो हांडी रो ओ राज। आज तांई इण सूं बेसी लाम्बो राज किण रो ई नीं हुयो। पण इब ? इब तो जाणै सगळां नाक ई रगड़ लीवी। माटी री हांडी ? छी...छी...। 'बैकवर्ड` हो कांई ? वाह सा वाह ! हांडी बपरायां सूं बैकवर्ड हुयीजै। कुण कैवै आ बात... बै ई भण्या गुण्या नीं जका सिंधु सभ्यता री बात करता थकां गुमेज करै अर ...अर हांडी री बात करतां सरम आवै... बैकवर्ड मानीजै ?
इब कुण बतावै बां नै। अरै भला माणसो ! जे थांनै हांडी सूं इतणी ई चिब है तो हांडी री जिग्यां देगचो क्यूं लेय`र आवो (देगचो बी हांडी रै डौळ बरगो हुवै, कांई हुयो जे बो माटी रो कोनी हुवै) ? इस्यो भांडो ल्यावो दखां जकै रै पींदो ऊपर अर मूंडो हेटै हुवै। का फेर हांडी सूं इतणी ई घिरणा है थांनै तो जेठ मांय पाणी स्टील रै बरतन मांय घाल्या करो। जद तो.. 'मां अे ! सुभानआळै घरां सूं कोरी माट लेय`र आयी अेक`।
हांडी माटी री ई हुया करै, काठ री नीं। हांडी बिनां सरै कोनी अर नीं सरै माटी बिनां। घर घर माटी रा चूल्हा अर माटी री ई हांडी। हांडी सूं दूर नां हुवो। माटी सूं दूर हुय जास्यो... अर हळवां हळवां इतियास सूं ई ! अर जे अचाणचक ई किण ई सेंटरियै मंंतरी रै चित्त चढगी तो ओजूं घर घर माटी री हांडी हुय जासी। पछै ले लेईयो दखां छिंटा ?
पूर्ण ार्मा 'पूरण`
प्रा० स्वा० के० रामगढ़
त० नोहर, जिला- हनुमानगढ़
९८२८७६३९५३
रोटी गोळ क्यूं हुवै
रोटी गोळ क्यूं हुवै ?
आपणै साम्ही सुवाल है कै रोटी गोळ ई क्यूं हुवै ? बियां तो कांई है कै उमावड़ां सूं ई धिका देवो भलां ई पण विग्यान रो जुग है अर किण ई समस्या नै समझणै रो ढंगढाळो जे अविग्यानिक हुवै तो आछो कोनी लागै। रोटी गोळ क्यूं हुवै है, सुवाल री पड़ताळ ई विग्यानिक नीत रीत सूं हुवणी चाइजै। इण ढाळै सोचां तो आपां नै अेतिहासिक, आर्थिक अर मनोविग्यानिक जड़ां री पड़ताळ सोधणी पड़सी।
अेतिहासिक कारण : किण ई देस रै लिखतु इतियास सारू पैलीपोत अेक भासा री दरकार हुवै। आज तांई इसी कोई भासा कोनी जकै मांय लिख्योड़ो इतियास का साहित री उमर आंगळियां माथै नीं गिणिज सकै। हां...लोक साहित री उमर री कूंत करणी मुस्कल है। क्यूंकै जद लोक जाम्यो हुयसी, अैन उण रै साथै साथै ई का अेक पांवडो लारै लोक साहित जाम्यो हुयसी, चायै बो गीत-संगीत हुवै चायै वात-कथा। ओ सो कीं जद लिखिजतो कोनी हो। बातां रा गोट गुड़ता अर आगली पीढी मांय जा रूढ़ता। इंयां जबानी साहित अर कीं पछै लिखतु साहित रै थोगै ई बात करां तो जठै जठै आं लोक कथावां मांय रोटी रो जिकर आयो है, बठै बठै रोटी रो डोळ, गोळ ई थरपीजतो रैयो है।
अेक लोक कथा रै ओलावै बातड़ी कीं और साफ कर लेवां दखां - बा बात तो थारी सुण्योड़ी ई हुयसी..? दो मिनकी ही अर अेक बांदरियो। दोनूं मिनकियां नै अेक रोटी लाधी। पांती करण लागी तो लड़ पड़ी। इण बिचाळै इण कथा मांय अेक बांदर आवै। बांदर खांतिलौ। रोटी रा दो टुकड़ा कर्या अर ताकड़ी मांय धर दिया। पण अेक कानी रो पालड़ो झुकग्यो। झुकतै पालड़ै कांनी सूं टुकड़ो तोड़्यो अर खाग्यो। पछै ओजूं तोली पण अबकाळै दूजी ठौड़ पालड़ो झुकग्यो। घणी बातां मांय कांई है, इंयां करतां करतां पूरी रोटी ई बांदरियो चेपग्यो।
इण कथा मांय मिनकियां नै लड़ाईखोरी अर बांदर नै खांतिलौ बताय`र नीत रीत री बातां करीजगी हुयसी भलां ई... पण असल मांय सोध रो विसै ओ है कै रोटी दो बरोबर हिस्सां मांय करीजगी कोनी का करी कोनी ? सीधी सी बात है, बांदर बिच्यारो कर ई कांई सकै हो। रोटी रो डौळ ई इस्यो हो कै बा दो बरोबर हिस्सा मांय कोनी हुय सकी। हाथां घड़्योड़ी रोटी कितणी`क गोळ हुय सकै ही ! आ ई रोटी जे च्यार कूंटआळी हुंवती तो बिच्यारै बांदर रै मूंडै काळख क्यूं मसळीजती ? आ ई हुय सकै ही कै स्यात मिनकी ई आपसरी मांय नीं लड़ती, क्यूंकै रोटी जे चौकूंटी हुंवती तो बिचाळै सूं दोलड़ी कर`र च्यारूं कूंट मिलाई अर दो बरोबर हिस्सा त्यार! पछै लड़ाई किण बात री ? लड़ाई नीं हुंवती तो आ लोककथा ई कोनी हुंवती अर...अर स्यात आज तांई रोटी च्यार कूंट री ई हुंवती......।
आर्थिक कारण : मिनख जद जंगळी सूं समाजी बण्यो तो ओ बीं रै विकास रो सरूआती पांवडो हो। आगै जा`र पआियै री खोज मिनख रै विकास री इण जातरा रो अेक इस्यो पड़ाव हुयग्यो जठै सूं मंजल चडूड़ दीसण लागी। ओ पआियो गोळ हो। विकास रा पांवडा बध्या तो धंधो बध्यो। धंधो बध्यो तो सुंवाज बध्यो अर छेकड़ रिपीयो जाम्यो.........ओ रिपीयो गोळ हो ( अजै तांई गोळ ई है )। कुल मिला`र कैय सकां हां कै कंद-मूळ अर फळ-फूल (अै सगळा ई गोळ हुवै) खावणियो मिनख आपरी आखी विकास जातरा मांय गोळ जिंसां रो सा`रौ ई लियो। गाडी-मोटर हुवै चायै ठाडा-ठाडा कारखानां, पाणी मांय उतरणो हुवै चायै चांद माथै चढणो, ...पआियै, चकरी, गरारी बिना पांवडो ई कोनी पाटै। अर अै सगळा गोळ ई हुवै। मतलब कै आखो विकास ई गोळ हुवै। जद विकास ई गोळ हुवै तो रोटी च्यार कूंटी किंयां हुवै ही... छेकड़ विकास रा पांवडा भरीज्या तो रोटी रै तांण ई नीं.....?
सामाजिक कारण : मिनख सुपनै मांय जीवणियो हुवै है....सक कोनी। कीं कीं 'सोमशर्मा पितृकथा` दांई। कुरळांवती आंतड़ियां री मून आवाज सूं लेय`र आखै बिरमांड री जातरा पूरी कर`र बठै ई आ पूगै। ओ पूरो रो पूरो गोळ गेड़ो छेकड़ पेट री भूख साम्ही ई आय`र पूरो हुवै। इंयां...रोटी रो डौळ स्यात गोळ थरपीज्यो हुयसी। समाजसास्तरीय अध्ययन रै मुजब रोटी नै गोळ ई हुवणो चाइजै हो। मिनख जद कीं जंगळी सूं मिनख बणण लाग्यो अर कबीलै मांय रैवण लाग्यो तो कंद-मूळ अर लळभख री जिग्यां कीं खेती-पाती रो जुगाड़ सरू हुयो। इब बारी आयी रोटी री...। इस्यै मांय रोटी रो डौळ किस्यो`क हुवै ? पण देखां तो कोई खास समस्या कोनी हुयी। कबीलां री पंचायत बैठती अेक गोळ घेरै मांय। पंच आपरी बात कैवण सारू ऊभौ हुंवतो। बैठी पंचायत रै साम्ही गोळ गोळ गेड़ो काट`र कोथ का कै`नाणां मांय आपरो पख मेल`र ओजूं आपरी ठौड़ आ बैठतो। कबीलाई बखत री आ रीत आज ई जिंयां री तिंयां चालती आवै है। संसद हुवै चायै विधानसभा सैंग गोळ ई हुवै। खेल रा मैदान उण बखत मांय ई गोळ हुंवता हा अर आज ई गोळ हुवै। पछै इस्यै समाज नै पोखणआळी रोटी गोळ क्यूं कोनी हुवै।
मनोविग्यानिक कारण : मिनख चायै धापेड़ो हुवै चायै भूखो, बीं री आंख्यां मांय सुपना तो हुवै ई है। सईकां पै`लां पैलीपोत कुण ई राजा आपरी त्यागत बधाई हुयसी तो आखी धरती (जकी गोळ है) नै कब्जै करण रो सुपनो तो पाळ्यो ई हो। सुपनां जद छोळां हुवै तो गोळ हुंवता जावै। अबार इण बखत मांय बूकियां रो धणियाप राखणिया का तंगळियां सूं सरकावणिया देस इण गोळ धरती सूं ऊपर उठ`र चांद-सूरज, बुध-मंगळ सूं ई परै किण ई दूजी दुनियां तांई पूगण रो सुपनो पाळै। दुनिया आ ई गोळ है अर जे कठैई और है तो बा ई गोळ है। चांद, सूरज, बुध, मंगळ सैंग गोळ ई तो है। घणी कांई कैंवां आखी झ्यांन (फगत छेकड़लै मिनख नै छोड़`र) रा सुपनां ई गोळ है। हां...जको गरीब है, भूखो है, बीं रो सुपनो... अब सा...नागी रो किस्यो सिणगार ? पण खैर.. छेकड़लो हुयग्यो तो कांई है...है तो मिनख ई नीं ! आखै दिन हाड गाळतां थकां ई दोनूं बखत दरड़ो कोनी भरीजै। भूखी आंतड़ी कुरळावै पण नींद कोनी आवै। पड़्यो-पड़्यो साम्ही देखबो करै। निजर खेजड़ी री टोगी जा टंगै। इकलंग। अचाणचक ई भभड़क`र निजर तिसळै...अेकर लागै जाणै खेजड़ी माथै रोटी टंगरी हुवै, पण...! मांय ई मांय हांसी आवै अर ऊपर आभै कानीं देखण लागै। गिरदै सूं भर्योड़ो चांद इब खेजड़ी री टोगी सूं कीं ऊंचो सरक आवै। चांद इब रोटी लागै। बो निजरां माथै चढ`र चांद कनै जा पूगै। कनै, कीं और कनै ! छेकड़ चांद...नां-नां... बा ठाडी-सी रोटी बीं रै भीतर उतर आवै अर...।
कैवो बात ! चांद गोळ...दुनियां गोळ... सुपनां गोळ... अर रोटी गोळ....।
बियां जे कठैई जिकर नां करो तो अेक भीतरली बात बताऊं थांनै ! रोटी गोळ तो हुवै पण हुवै गरीब री ई है। जद सूं अमीर खुद नै अमीर मानण लाग्यो, अैन उण दिन सूं ई बो गोळ रोटी सूं पासो देयग्यो। बीं री रोट तीन कूंटआळी का च्यार कूंटी हुंवती गयी। रोटी डबलरोटी मांय बदळीजती बदळीजती पीजा अर बरगर हुंवती गयी।
स्यात थांनै ओ ई ठाह कोनी हुयसी कै गरीब रै गरीब रैवण रो कारण ई गरीब री रोटी रो गोळ हुंवणो है। गरीब बिच्यारो आखी जिनगी रोटी रै चौगड़दै गेड़ा मारतो रैवै। अर दे गेड़ां माथै गेड़ा ओजूं बठै ई आ पूगै.... घाणी रै बळद दांई। गोळ गेड़ां रो कांई पूरो हुवै ! पूरा हुवै सांस...।
अमीर स्याणो निसर्यो। गोळ गेड़ो छोड़तां ई दीठ चकीजी, पछै धंूसीजतां कांई जेज लागै ही। गरीबियो आज ई लाग रैयो है.... दे गेड़ां माथै गेड़ा। हां.. अेक बात और, इंयां बीं रै हरेक गेड़ै पछै रोटी रो आकार कीं छोटो हुंवतो जावै, पण इचरज री बात है कै रैवै गोळ ई है। छेकड़ गेड़ा मारतो मारतो बिच्यारो खुद ई दुनियां सूं गोळ हुय जावै।
खैर.. अेकर ओजूं चेतै करा देवूं जांवतो जांवतो... पण जाणद्यो ! ईं बात रो कठैई जिकर नां कर देईयो... कठैई मरा देवो लाई नै !
पूर्ण ार्मा 'पूरण`
प्रा० स्वा० के० रामगढ़
त० नोहर, जिला- हनुमानगढ़
९८२८७६३९५३
आपणै साम्ही सुवाल है कै रोटी गोळ ई क्यूं हुवै ? बियां तो कांई है कै उमावड़ां सूं ई धिका देवो भलां ई पण विग्यान रो जुग है अर किण ई समस्या नै समझणै रो ढंगढाळो जे अविग्यानिक हुवै तो आछो कोनी लागै। रोटी गोळ क्यूं हुवै है, सुवाल री पड़ताळ ई विग्यानिक नीत रीत सूं हुवणी चाइजै। इण ढाळै सोचां तो आपां नै अेतिहासिक, आर्थिक अर मनोविग्यानिक जड़ां री पड़ताळ सोधणी पड़सी।
अेतिहासिक कारण : किण ई देस रै लिखतु इतियास सारू पैलीपोत अेक भासा री दरकार हुवै। आज तांई इसी कोई भासा कोनी जकै मांय लिख्योड़ो इतियास का साहित री उमर आंगळियां माथै नीं गिणिज सकै। हां...लोक साहित री उमर री कूंत करणी मुस्कल है। क्यूंकै जद लोक जाम्यो हुयसी, अैन उण रै साथै साथै ई का अेक पांवडो लारै लोक साहित जाम्यो हुयसी, चायै बो गीत-संगीत हुवै चायै वात-कथा। ओ सो कीं जद लिखिजतो कोनी हो। बातां रा गोट गुड़ता अर आगली पीढी मांय जा रूढ़ता। इंयां जबानी साहित अर कीं पछै लिखतु साहित रै थोगै ई बात करां तो जठै जठै आं लोक कथावां मांय रोटी रो जिकर आयो है, बठै बठै रोटी रो डोळ, गोळ ई थरपीजतो रैयो है।
अेक लोक कथा रै ओलावै बातड़ी कीं और साफ कर लेवां दखां - बा बात तो थारी सुण्योड़ी ई हुयसी..? दो मिनकी ही अर अेक बांदरियो। दोनूं मिनकियां नै अेक रोटी लाधी। पांती करण लागी तो लड़ पड़ी। इण बिचाळै इण कथा मांय अेक बांदर आवै। बांदर खांतिलौ। रोटी रा दो टुकड़ा कर्या अर ताकड़ी मांय धर दिया। पण अेक कानी रो पालड़ो झुकग्यो। झुकतै पालड़ै कांनी सूं टुकड़ो तोड़्यो अर खाग्यो। पछै ओजूं तोली पण अबकाळै दूजी ठौड़ पालड़ो झुकग्यो। घणी बातां मांय कांई है, इंयां करतां करतां पूरी रोटी ई बांदरियो चेपग्यो।
इण कथा मांय मिनकियां नै लड़ाईखोरी अर बांदर नै खांतिलौ बताय`र नीत रीत री बातां करीजगी हुयसी भलां ई... पण असल मांय सोध रो विसै ओ है कै रोटी दो बरोबर हिस्सां मांय करीजगी कोनी का करी कोनी ? सीधी सी बात है, बांदर बिच्यारो कर ई कांई सकै हो। रोटी रो डौळ ई इस्यो हो कै बा दो बरोबर हिस्सा मांय कोनी हुय सकी। हाथां घड़्योड़ी रोटी कितणी`क गोळ हुय सकै ही ! आ ई रोटी जे च्यार कूंटआळी हुंवती तो बिच्यारै बांदर रै मूंडै काळख क्यूं मसळीजती ? आ ई हुय सकै ही कै स्यात मिनकी ई आपसरी मांय नीं लड़ती, क्यूंकै रोटी जे चौकूंटी हुंवती तो बिचाळै सूं दोलड़ी कर`र च्यारूं कूंट मिलाई अर दो बरोबर हिस्सा त्यार! पछै लड़ाई किण बात री ? लड़ाई नीं हुंवती तो आ लोककथा ई कोनी हुंवती अर...अर स्यात आज तांई रोटी च्यार कूंट री ई हुंवती......।
आर्थिक कारण : मिनख जद जंगळी सूं समाजी बण्यो तो ओ बीं रै विकास रो सरूआती पांवडो हो। आगै जा`र पआियै री खोज मिनख रै विकास री इण जातरा रो अेक इस्यो पड़ाव हुयग्यो जठै सूं मंजल चडूड़ दीसण लागी। ओ पआियो गोळ हो। विकास रा पांवडा बध्या तो धंधो बध्यो। धंधो बध्यो तो सुंवाज बध्यो अर छेकड़ रिपीयो जाम्यो.........ओ रिपीयो गोळ हो ( अजै तांई गोळ ई है )। कुल मिला`र कैय सकां हां कै कंद-मूळ अर फळ-फूल (अै सगळा ई गोळ हुवै) खावणियो मिनख आपरी आखी विकास जातरा मांय गोळ जिंसां रो सा`रौ ई लियो। गाडी-मोटर हुवै चायै ठाडा-ठाडा कारखानां, पाणी मांय उतरणो हुवै चायै चांद माथै चढणो, ...पआियै, चकरी, गरारी बिना पांवडो ई कोनी पाटै। अर अै सगळा गोळ ई हुवै। मतलब कै आखो विकास ई गोळ हुवै। जद विकास ई गोळ हुवै तो रोटी च्यार कूंटी किंयां हुवै ही... छेकड़ विकास रा पांवडा भरीज्या तो रोटी रै तांण ई नीं.....?
सामाजिक कारण : मिनख सुपनै मांय जीवणियो हुवै है....सक कोनी। कीं कीं 'सोमशर्मा पितृकथा` दांई। कुरळांवती आंतड़ियां री मून आवाज सूं लेय`र आखै बिरमांड री जातरा पूरी कर`र बठै ई आ पूगै। ओ पूरो रो पूरो गोळ गेड़ो छेकड़ पेट री भूख साम्ही ई आय`र पूरो हुवै। इंयां...रोटी रो डौळ स्यात गोळ थरपीज्यो हुयसी। समाजसास्तरीय अध्ययन रै मुजब रोटी नै गोळ ई हुवणो चाइजै हो। मिनख जद कीं जंगळी सूं मिनख बणण लाग्यो अर कबीलै मांय रैवण लाग्यो तो कंद-मूळ अर लळभख री जिग्यां कीं खेती-पाती रो जुगाड़ सरू हुयो। इब बारी आयी रोटी री...। इस्यै मांय रोटी रो डौळ किस्यो`क हुवै ? पण देखां तो कोई खास समस्या कोनी हुयी। कबीलां री पंचायत बैठती अेक गोळ घेरै मांय। पंच आपरी बात कैवण सारू ऊभौ हुंवतो। बैठी पंचायत रै साम्ही गोळ गोळ गेड़ो काट`र कोथ का कै`नाणां मांय आपरो पख मेल`र ओजूं आपरी ठौड़ आ बैठतो। कबीलाई बखत री आ रीत आज ई जिंयां री तिंयां चालती आवै है। संसद हुवै चायै विधानसभा सैंग गोळ ई हुवै। खेल रा मैदान उण बखत मांय ई गोळ हुंवता हा अर आज ई गोळ हुवै। पछै इस्यै समाज नै पोखणआळी रोटी गोळ क्यूं कोनी हुवै।
मनोविग्यानिक कारण : मिनख चायै धापेड़ो हुवै चायै भूखो, बीं री आंख्यां मांय सुपना तो हुवै ई है। सईकां पै`लां पैलीपोत कुण ई राजा आपरी त्यागत बधाई हुयसी तो आखी धरती (जकी गोळ है) नै कब्जै करण रो सुपनो तो पाळ्यो ई हो। सुपनां जद छोळां हुवै तो गोळ हुंवता जावै। अबार इण बखत मांय बूकियां रो धणियाप राखणिया का तंगळियां सूं सरकावणिया देस इण गोळ धरती सूं ऊपर उठ`र चांद-सूरज, बुध-मंगळ सूं ई परै किण ई दूजी दुनियां तांई पूगण रो सुपनो पाळै। दुनिया आ ई गोळ है अर जे कठैई और है तो बा ई गोळ है। चांद, सूरज, बुध, मंगळ सैंग गोळ ई तो है। घणी कांई कैंवां आखी झ्यांन (फगत छेकड़लै मिनख नै छोड़`र) रा सुपनां ई गोळ है। हां...जको गरीब है, भूखो है, बीं रो सुपनो... अब सा...नागी रो किस्यो सिणगार ? पण खैर.. छेकड़लो हुयग्यो तो कांई है...है तो मिनख ई नीं ! आखै दिन हाड गाळतां थकां ई दोनूं बखत दरड़ो कोनी भरीजै। भूखी आंतड़ी कुरळावै पण नींद कोनी आवै। पड़्यो-पड़्यो साम्ही देखबो करै। निजर खेजड़ी री टोगी जा टंगै। इकलंग। अचाणचक ई भभड़क`र निजर तिसळै...अेकर लागै जाणै खेजड़ी माथै रोटी टंगरी हुवै, पण...! मांय ई मांय हांसी आवै अर ऊपर आभै कानीं देखण लागै। गिरदै सूं भर्योड़ो चांद इब खेजड़ी री टोगी सूं कीं ऊंचो सरक आवै। चांद इब रोटी लागै। बो निजरां माथै चढ`र चांद कनै जा पूगै। कनै, कीं और कनै ! छेकड़ चांद...नां-नां... बा ठाडी-सी रोटी बीं रै भीतर उतर आवै अर...।
कैवो बात ! चांद गोळ...दुनियां गोळ... सुपनां गोळ... अर रोटी गोळ....।
बियां जे कठैई जिकर नां करो तो अेक भीतरली बात बताऊं थांनै ! रोटी गोळ तो हुवै पण हुवै गरीब री ई है। जद सूं अमीर खुद नै अमीर मानण लाग्यो, अैन उण दिन सूं ई बो गोळ रोटी सूं पासो देयग्यो। बीं री रोट तीन कूंटआळी का च्यार कूंटी हुंवती गयी। रोटी डबलरोटी मांय बदळीजती बदळीजती पीजा अर बरगर हुंवती गयी।
स्यात थांनै ओ ई ठाह कोनी हुयसी कै गरीब रै गरीब रैवण रो कारण ई गरीब री रोटी रो गोळ हुंवणो है। गरीब बिच्यारो आखी जिनगी रोटी रै चौगड़दै गेड़ा मारतो रैवै। अर दे गेड़ां माथै गेड़ा ओजूं बठै ई आ पूगै.... घाणी रै बळद दांई। गोळ गेड़ां रो कांई पूरो हुवै ! पूरा हुवै सांस...।
अमीर स्याणो निसर्यो। गोळ गेड़ो छोड़तां ई दीठ चकीजी, पछै धंूसीजतां कांई जेज लागै ही। गरीबियो आज ई लाग रैयो है.... दे गेड़ां माथै गेड़ा। हां.. अेक बात और, इंयां बीं रै हरेक गेड़ै पछै रोटी रो आकार कीं छोटो हुंवतो जावै, पण इचरज री बात है कै रैवै गोळ ई है। छेकड़ गेड़ा मारतो मारतो बिच्यारो खुद ई दुनियां सूं गोळ हुय जावै।
खैर.. अेकर ओजूं चेतै करा देवूं जांवतो जांवतो... पण जाणद्यो ! ईं बात रो कठैई जिकर नां कर देईयो... कठैई मरा देवो लाई नै !
पूर्ण ार्मा 'पूरण`
प्रा० स्वा० के० रामगढ़
त० नोहर, जिला- हनुमानगढ़
९८२८७६३९५३
मोड़
मोड़
सेको अैन उण दिन सरू हुयो जद पैली-पै`ल बीं नै लाग्यो कै इब बाजार बदळग्यो है। बात भलां ई इतणी सी`क ई ही पण इयां मै`सूस हुवण सूं अैन पै`लां बीत्योड़ो कोई अेक पल बीं री बाकी बच्योड़ी जिनगी मांय खुसी सूं भर्यो छेकड़लो पल हुंवणो चावै हो।
अैन ओ ई पल हो जकै रै पछै बो चुप चुप अर गम्योड़ो-सो रैवण लाग्यो हो। दुकान मांय हुंवतां थकां ई कोनी हुंवतो-सो ! सै`र रै अैन बिचाळै, जठै हाल ई सै`र रो काळजो धड़कतो, बीं री दुकान ही। रेडिमेड गाभां री छोटी सी दुकान। आखै दिन बो दुकान मांय ई रैंवतो। आपरी साढी तीन नम्बरआळी मोटै फरेम री अेनक नै ऊपर हेटै सरकांवतो बैंवती सड़क नै जोंवतो रैंवतो। बडै झांझरकै ई उठ`र दुकान री बुहारी झाड़ी रो काम हाल ई बो हरमेस री भांत करतो। चौरावै माथै लाग्योड़ी टूंटी सूं बाल्टी भर-भर`र पाणी लांवतो। दुकान री तळी नै धोंवतो-पूंछतो। बारै सड़क माथै पाणी छिड़कतो। अेक बंधी-बंधाई लीक माथै सो कीं बिंयां ई करतो जिंयां लारलै बीस-इक्कीस बरसां सूं करतो आवै हो....का स्यात इण सूं ई बेसी बरसां सूं। जद सूं ई .... जद कै बीं रै होठां माथै रूंआड़ी ई कोनी फूटी ही स्यात !
घरां अेकलो छोरो हो बो। बीं सूं बडी पांच भैणां ही जकी कदेन री ई ब्याहीजी ही। सैंग सूं बडी दो भैणां रो ब्याव तो उण बखत ई हुयग्यो हो जद बो दो तीन साल रो ई हुयसी। बीं रै सावळ सूं चेतै कोनी जद भैणां री बारात आयी ही पण पछली तीनूं भैणां रै ब्याव मांय बो खूब भाज्यो भाज्यो फिर्यो हो। चिन्नो-सो कोई काम हुंवतो तो बापू बीं नै हेलो पाड़ता.... 'जैनू.... देखी दखां....`।
बापू कदेई बीं नै जयनारायण नांव सूं कोनी बतळांवता। खुद बीं नै ई बापू रो 'जैनू` कैवणो आछो लागतो। बीं नै लागतो जाणै इंयां कैंवतां बापू री मीठी-मीठी सौरम ई बीं तांई आयगी हुवै। मां अर भैणां री झोळियां सूं निसर`र बो बापू री रजाई मांय आ बड़तो.... 'म्हैं तो अठै ई बैठस्यूं....`। बापू री रजाई मांय बापू री सौरम ! बीं नै ब्होत आछो लागतो।
आपरै छेकड़ला दिनां मांय बापू रा सामला च्यारूं दांत टूटग्या हा। आदत मुजब बै अबार ई बीं नै जैनू कैय`र बतळांवता। पण 'जै...नू..` कैंवतां थकां जैनू रो 'नू` कठैई बिचाळै ई गम`र रैय जांवतो। बीं नै अटपटो सो लागतो। बापू रै खुल्लै मूंडै कानी केई ताळ देखबो करतो बो।
बापू दुकान जावण री टाळ कोनी करी कदेई। अठै तांई कै आपरै छेकड़लै दिन ई बै दुकान मांय ई हा। हां.. लारलै केई बरसां सूं जयनारायण ई बापू रै काम मांय सा`रो लगावण लाग्यो हो। हांडी बखत इस्कूल री छुट्टी हुयां पछै का कदे कदे पूरै दिन ई।
कदे कदे तो बीं नै दिनुगै पै`ली ई दुकान मांय आवणो पड़तो। दुकान री बुहारी-झाड़ी, धूप-बत्ती सूं लेय`र गिराक नै सामान दिखांवणै अर सामान री 'पैकिंग` करणै तांई रो काम ब्होत सावचेती सूं करतो बो। ...बापू दुकान मांय हुंवता तो ई।
सै`र रै नेड़ै-तेड़ै रा गामां सूं आवणियां गिराकां सूं बापू खूब बतळांवता... 'बेटी रो ब्याव कद है ?` बां री बतळांवण मांय घर-बारै सूं लेय`र धरम-करम री ब्होत सारी बातां हुंवती। गिराक ई बापू साथै ब्होत हेत राखता। बीं नै गादी माथै बैठ्यो देख पूछता...'बेटो है कांई ?` पडूतर मांय बापू री आंख्यां मांय चिलको बध जांवतो अर बां रो हाथ खुदोखुद बीं रै कंधोळै माथै कसीज जांवतो।
आपरै छेकड़लै दिनां मांय बापू री हरेक बात रो नमेड़ अटपटो-सो हुंवतो। बतळांवतां थकां बां री आंख्यां मांय अेक गम्यो-गम्यो सो भाव उतर आंवतो। बै घड़ी घड़ी आपरी मोटै फरेमआळी अेनक नै उतारता अर धोती रै पल्लै सूं पूंछण लागता। इंयां कर`र बै आपरी आंख्यां सूं झबळक आयी खालीपणै री किरचां नै पूंछता हुंवता जाणै। बो बापू रै मूंडै कानी देखबो करतो। बां रो मंूडो खुलो हुंवतो जाणै 'जै...नू..` कैय`र कीं कैवणो चांवता हुवै।
बां दिनां कीं कीं समझण लाग्यो हो बो कै सीधा दुनियादार लागता बापू क्यूं अेकदम ई दरवेस दांई लागण लागता हा।
दुकान रो काम बिंयां तो ठीक-ठाक ई हो पण अेक रै पछै अेक हुंवता गया भैणां रै ब्यावां रा खरचां पछै इतणो पीसो कनै नीं रैयो हो कै बाजार री जुरतां नै पूर्यो जा सकै। बिंयां तो गामां सूं आवणिया गिराक हाल ई बापू कनै आंवता हा पण जी` सोरै रा 'आइटम` नीं लाधता। दुकान सूं खाली हाथ निसरतां कठैई कीं छूट`र रैय जांवतो जाणै। हळकी अर बिनां जुरत री कोई चीज लेय`र बापू रो हेत अर आ-बैठ बणायां राखण सारू कोसिस करता बिच्यारा गिराक।... पण आमदनी तो घटै ई ही।
इस्कूल री पढाई पूरी कर्यां पछै जयनारायण इब कॉलेज जावण लाग्यो हो। अेक दो 'पीरीयड` रै पछै बीं कनै बखत ई बखत हुंवतो इब। इंयां दुकान मांय बीं री हाजरी लगोलग बणी रैंवती। लगैटगै रोज ई दिनुगै पै`लां आवणो पड़तो अर सिंझ्या तांई रैवणो ई। बापू ठाह नीं कांई जुगाड़ मांय लाग्या रैंवता आं दिनां। दुकान सूं गायब हुंवता तो पूरो पूरो दिन निसर जांवतो। बो अेकलो ई दुकान री गादी सूं चिप्यो रैंवतो। खाली हुंवती अलमारियां कानी देखतो का बारै सड़क कानी। बारै सड़क माथै भीड़ मावती ई कोनी। ...भीतर ? खाली खाली दुकान रै भीतर बो हुंवतो.... खाली खाली ई। बैंवती सड़क सूं इंयां ई कदेई कोई गिराक छिंटै दांई उछळ`र दुकान मांय आ बड़तो तो बो फुरती सूं आपरी जिग्यां माथै आ जचतो। इस्या मौका मांय जद कदे ई बापू खुद दुकान मांय हुंवता तो बीं नै कोई घणी अबखाई कोनी हुंवती। बापू आपरै खास अंदाज मांय घुमा-फिरा`र सागी बा ई चीज दिखा देंवता जकी खातर गिराक पै`लां ई नाड़ मार देंवतो भलां ई। इस्यै मांय जे कोई जांण पिछांणआळो गिराक हुंवतो तो बापू रै चासणीआळां सबदां मांय अळूझतो ई अळूझतो। ...पण लगैटगै इब गिराकां नै आइटम घट ई दाय आंवता। कदे कोई 'बाबा सूट` का निक्कर आद दाय आ ई जांवती तो उण रो नम्बर छोटो हुंवतो का कीं ठाडो हुंवतो। 'छब्बीस नम्बर रो दिखाद्यो...` गिराक रै कैयां पछै बो इंयां ई झूठां ई आलमारी मांय हाथ मारतो। ठाडो नम्बर हुंवतो तो उण रो रंग अर डिजाइन सागी कोनी हुंवतो। छेकड़ गिराक खाली हाथ बारै...। गिराक घट्या तो घटता ई गया। अठै तांई कै कदे कदे तो बोवणी तकात ई कोनी हुंवती।
ठीक आं ई दिनां जद बजार सूं बां री दुकान रो गम जांवणो लगैटगै तै ई हुयग्यो हो, बापू अेक इस्यो फैसलो कर्यो कै दुकान ओजूं दीसण लागी।
आं दिनां सै`र भाजणो सरू ई कर्यो हो। अर उण रै भाजता पांवडां नै कीं बेसी 'स्पेस` री दरकार ही। भाजतै सै`र रो मूंडो जिन्नै हो बिन्नै ई बां रो घर हो। भूतियां रो बास। सै`र रै अगूणै पासै कीं कीं अळगो सो लागतो, ढाणी बरगो बास। जठै काची अर अधपाकी ईंटां सूं बणायोड़ा घर, घर कम अर मुरगियां रा दड़बा बेसी लागता। आं खिंड्योड़ा सा दड़बां बिचाळै ई बां रो दड़बो ... मतलब घर ! घर रै साम्ही अर पसवाड़ै दूर तांई खाली जिग्यां पसरी हुंवती, जकी माथै बोरड़ी, कींकर अर खेजड़ी रा दरखतां रै साथै साथै कैर, बुई, खींप अर सीणिंया रा बोझा ई पसर्योड़ा हुंवता। बो भखांवटै ई लोटो लेय`र 'ल्है-ल्है` करता आं बोझां लारै फिरण सारू जांवतो। बावड़ती बरियां दुड़की लगांवतो तो ताजा बायरो बीं री छाती मांय भर आंवतो। सै`र री सड़कां हाल इन्नै कोनी आयी ही। जिन्नै मूंडो करो बिन्नै ई भाज छूटो। इब जद सै`र रा भाजता पग अठै तांई पूग लिया तो साथै साथै सड़कां ई पूगली। देखतां देखतां ई खाली पड़ी जमीनां अड़ाडोट हुयगी।
बापू स्यात भाजतै सै`र री सांसां नै पै`लां ई मै`सूस लियो हो। बां दिनां ई अेक सिंझ्या घरां आंवतां ई बां उतावळी सी पण कीं मर्योड़ी सी आवाज मांय कैयो.. 'आपां किरायै रै घर मांय चालस्यां`।
अबैं जाय`र बीं रै समझ मांय आयी कै बापू सगळै सगळै दिन कठै गम्या रैंवता हा।
घर रै बिकणै सूं जको पीसो हाथ आयो उण सूं दुकान मांय सामान बधायिज्यो। सामान बध्यो तो गिराकी ई ओजूं बधण लागी। सरू सरू मांय घर बेचण रै बापू रै इण फेसलै नै बो सई कोनी मानतो हो। अलबत आपरी निराजी चौड़ै कोनी करी बण पण मन ई मन बापू सारू अेक रीस रो भाव बण्यो रैंवतो। दुकान सूं बावड़`र किरायै रै घरां आंवतो, जको दुकान री पिछोकड़ी गळी मांय हो, तो लागतो जाणै किण ई अणचौबड़ जिग्यां आयग्यो हुवै। रात नै नींद मांय आळ-जंजाळ मांय फंस जांवतो। इण बिचाळै खाली बखत मांय बो दो अेक बरियां आपरै पुराणियै घर कानी ई हुय आयो हो। बठै पैलड़ी भींतां नै हटाय`र नूंवी 'बिल्डिंग` घालिजै ही। खाली पड़ी दूजी जमीनां माथै ई काम चालै हो। रेत अर सिम्मट रै डूंडां बिचाळै बो मोड़ै तांई ऊभौ रैयो.... गम्योड़ो सो। भीतर कठैई अेक डूंड उठ्यो अर देखतां ई देखतां बारै उठता रेत अर सिम्मट रै डूंडां मांय जा रळ्यो। डाफांचूक सो बो बावड़ तो आयो पण पग पूठा पड़ै हा।
दुकान मांय गिराकी बधी तो थिति कीं सुधरण लागी। बापू री खाली खाली आंख्यां मांय इब पैलड़ी सी चिलक बावड़ आयी ही। बीं नै इब लागण लाग्यो, बापू सई बखत मांय सई फैसलो लियो हो। सिंझ्या गल्लै सूं आखै दिन री बिकरी गिणतां थकां बीं रै भीतर इब विरोध अर रीस री जिग्यां बापू सारू आसति रो भाव हुंवतो।
घर री बिकरी रै पीसै सूं अेक काम और कर्यो बापू। लग्यै हाथ बीं रो ब्याव ई कर दियो।
सविता बीं री जिनगी मांय आयी तो खुद रै घर सारू बीं री रही-सई टीस ई जांवती रैयी। साल हुंवतां हुंवतां बो अेक टाबर रो बाप ई बणग्यो। पढाई पकायत ई छूटगी ही। .... हां मन मांय हाल ई अेक उडीक ही कै अबकाळै पढस्यूं। पण इंयां हुयो कोनी कदेई। बापू अेक सिंझ्या सोया तो दिनुगै सूत्या ई रैयग्या। थिर सूत्या बापू कानी बण देख्यो बापू रो मूंडो खुल्लो रैयग्यो हो। बीं नै लाग्यो स्यात बापू कीं कैवणो चावै हा।
केई महीनां पछै मां ई बीं नै छोड`र चाल ब्हीर हुयी तो बो जाणै कतैई अेकलो हुयग्यो। बापू रै चल्यां पछै जुमेवारी रै ओचट भै सूं झिझको खाय`र थम्योड़ा आंसू मां रै मरणै साथै ई सगळा बंधा तोड़ग्या। सारी सारी रात रोंवतो रैयो बो। सविता बीं नै थ्यावस दिरांवती रैंवती पण बो घड़ी घड़ी आपरो सिर हलांवतो रैयो... 'इब किंयां हुयसी....`।
बखत निसर्यां जयनारायण खुद नै ओजूं सम्हाळ लियो। दुकान रो काम ई जिंयां तिंयां चालतो रैयो। दो छोरी ही अर अेक छोरो। तीनूं पढै हा हाल। घर हाल ई किरायै रो हो। हां.. दुकान घरू ही। स्यात आ ई अेक खुसी ही भीतर।
गिराकी घणी तो कोनी ही पण काम-चलाऊ ही। दुकान मांय बिकरी रो पीसो लेय`र बो लुधियाणै जांवतो अर रेडिमेड रो सामान ले आंवतो जको महीनै तांई मोकळो रैंवतो। इण सूं बत्तो नांणौ ई कोनी हो बीं कनै। बापू रै बखत मांय जको कीं पल्लै हो बो बापू अर मां रै औसर मांय लागग्यो। दुकान री आमदनी तो हाथ सूं मूंडै तांई ई ही। रोज कूवो पटो अर रोज पाणी पीवो। अर फेर महीनै तांई घर रो खरचो अर टाबरां री पढाई ई तो पांख पड़ा देवै है ! लुधियाणै जांवती बरियां हरेक गेड़ै बीं रै मन मांय हुंवती कै कीं मूंगा आइटम लेय`र आवूं। गिराकां री जुरतां दिनूंदिन बदळै-बधै ही। सामान रै तोड़ै मांय गिराक खाली हाथ निसरतो तो काळजै मांय डीक सी चालती।
दुकान मांय बड़तां ई गिराक जद 'लेविस` रो कोट का 'कूटोन्स` री पैंट मांगतो तो काळजै री डीक आंख्यां मांय उतर आंवती। पण फेर ई पड़तख मांय बो गिराक नै सस्तै कोट अर पैंट मांय अळूझाणै री कोसिस करतो। आपरै चासणी लपेटड़ा सबदां सूं गिराकां नै पटावतां थकां बीं नै लागतो जाणै बापू बीं रै भीतर उतर आया हुवै। बीं रै लम्बूतरै चेरै माथै कीं कीं भीतर नै सरकती गंज देख`र सविता ई आं दिनां कैवण लागी ही, ' थे तो अैन बापू दांई लागण लाग्या`। सुण`र आंख्यां मांय थम्योड़ो पाणी ढळकण नै हुंवतो.... जाणै साम्ही जोड़ायत नीं कोई गिराक ऊभौ हुवै अर 'मोटिंकार्लो` री 'टी ार्ट` मांगतो हुवै।
लागण नै तो केई दिन पै`लां सूं ई बीं नै इंयां लागण लाग्यो हो कै बीं रै इंयां झाड़-बोझै बारैकर फिर्यां नाको कोनी लागै। दुकान मांय जको कीं हो बो नूंवी मांग मुजब कतैई नीं हो। इन्नै आं दिनां बीं रै दोनूं कानी अर साम्ही री लैण मांय बोदी दुकानां नै फोड़`र नूंवी बिल्डिंगां घलै ही। बीस बीस फुट ऊंची सटरआळी दुकानां कानी देखतां ई आंख्यां मांय चिलको पड़ै इसी। खुलै सटर रै भीतर चम-चम करता सीसां मांय धर्योड़ा रेडिमेड रा 'शोपीस` बैंवती सड़क नै बारै सूं मलोमल मांय खींच ल्यावै।
अछंट जयनारायण नै लाग्यो कै सगळै रा सगळा लोग बां ई दुकानां मांय बड़ रैया हा। बो ई पल ....अैन बो ई पल हो जद ओ सेको बीं रै भीतर जाम्यो। बो भीतर तांई धूज`र रैयग्यो जद बीं नै लाग्यो कै बीं री दड़बै बरगी दुकान मांय इब कोई नीं आयसी। दिनुगै सूं सिंझ्या तांई दुकान री गादी माथै बैठ्यो रैवणियो बो मतलब जयनारायण मतलब आपरै बापू रो 'जैनू` किण ई दिन इंयां ई गादी सूं चिप`र रैय जायसी... अेकलो अर अळगो ! बारै बैंवती सड़क हुयसी पण भीतर सो कीं थम जासी।
भै सूं धूजण लाग्यो बो। बारै सड़क कानी देख्यो। तिसळती भीड़ मांय आपरा जाणकार गिराकां नै पिछाणणो चायो....पण....बण देख्यो सगळी भीड़ कतैई अणचौबड़ ही। आज सूं पै`लां बां नै कदेई कोनी देख्यो हो बण। बो सै`र रै अेक अेक मिनख नै जाणै हो पण ...पण भीड़ मांय सै`र रो अेक ई मिनख कोनी हो। सै`र तो सै`र गामां आंवणिया गिराकां, जकां नै बो बापू रै बखत सूं ई जाणै हो, बैंवती सड़क सूं गायब हा। आ किंया हुयी बटी। सैंग रा सैंग अणजाण ! ठाह नीं कठै सूं आयग्या इतणा सारा अणजाण लोग ! अेक समचै ई ? इण सूं पै`लां कठै हा अै... बीं रै समझ मांय कोनी आयी। घबरावट मांय बीं री सांस फूलण लागी। लाग्यो काळजो फड़क`र बारै निसरसी। बण जोर जोर सूं सांस खींचण री कोसिस करी। इंयां करतां थकां बीं री आंख्यां लट्टू री दांई बारै लटकण नै हुय आयी। धूजतै हाथां बण आपरी अेनक पसवाड़ै हटायी अर आपरो लिलाड़ मसळण लाग्यो। पसेवै रा कतरा हथाळी मांय चिपग्या तो बीं नै लाग्यो बीं री घबरावट और बधगी अर बीं रो काळजो फड़कै चढग्यो। बो धूजण लाग्यो। गै`बरतां बण आपरी हथाळी कानी ओजूं देख्यो। हथाळी री लीक हळवां हळवां गमण लागी। बण आपरै सिर नै झटको दियो अर ओजूं देख्यो...। अबकाळै पूरी हथाळी ई गमगी। हथाळी री जिग्यां खाली ही। बो घड़ी घड़ी हथाळी री खाली जिग्यां कानी देखतो रैयो अर आपरै सिर नै झटकतो रैयो। भै री अेक रीळ आयी अर बीं री रूंआड़ियां री बंधा अेक समचै ई टूटग्या। अर बो पसेवै रै दरियाव मांय डूबतो गयो।
इण घटना नै घट्यां आज चौथो दिन हो। बीं री खतरनाक चुप्पी नै ई आज चौथो दिन हो। सविता सो कीं देखै ही पण जाण`र कोई जिकर कोनी कर्यो बण। आं दिनां मांय दुकान री घटती बिकरी छानी कोनी ही बीं सूं। अबार दूसरो महीनो ई कदेन रो ई टिपग्यो हो पण लुधियाणै जांवण रो जिकर तकात कोनी कर्यो हो जयनारायण। आं नै चिंत्या नीं हुयसी तो किण नै हुयसी, सोच्यो सविता ! पण चौथै दिन ई चालती इण चुप्पी सूं भीतर तांई धूजगी सविता। हुवै नीं हुवै, बात कीं और ई है। तंगी तो बापू रै बखत सूं ई ही पण इंयां तो कोनी हुयो कदेई !
रोजिना री भांत दिनुगै पै`ली दुकान जांवती बरियां बापू री फोटू साम्ही ऊभौ हो जयनारायण ! सविता उण बखत ई सोच लियो हो कै सिंझ्या घरां आयसी जद लाजमी पूछस्यूं।
सिंझ्या जयनारायण घरां आयो तो बीं रै मूंडै कानी देख`र सविता री हिम्मत कोनी हुयी कै कीं पूछ लेवै। मोड़ै तांई उडीकती रैयी...स्यात टाबर सोयां पछै पूछूं दखां कांई बात है ! पण इंयां हुयो कोनी...। नींद कद मांयकर आय`र फिरगी ठाह ई कोनी लाग्यो।
दिनुगै न्हा-धो`र ओजूं बापू री फोटू साम्ही हो जयनारायण। सविता रसोई मांय जांवती जांवती देख्यो, बो फोटू रै साम्ही आंख्यां मीच्यां ऊभौ हो।
कीं ताळ पछै जयनारायण आपरी आंख्यां खोली अर पूठो मुड़ण लाग्यो.... पण छिन-अेक लाग्यो जाणै बापू री फोटू रा होठ हाल्या हा। बो जांवतो जांवतो थमग्यो। सविता हाल रसोई मांय ई ही। केई ताळ पछै बीं रै चेतै आयी, 'स्यात बै हाल तांई गया कोनी` ! बा कमरै रै खुलै बारणै तांई आयी। देख्यो, जयनारायण हाल ई फोटू रै साम्ही ऊभौ है। बण सुण्यो, जयनारायण होठां ई होठां मांय कीं बरड़ावै हो। बिना किण ई खटकै-पटकै बा किवाड़ां री ओट मांय हुयगी अर कान मांड लिया। ..पण सिवाय बरड़ाट रै और कीं कोनी सुणिज्यो। लारलै च्यार दिनां सूं बीं रै भीतर भेळी हुंवती चिंत्या औचट भै मांय बदळगी। बण जोर सूं हेलो पाड़णो चायो...........'पुन्नु... रा बापू....`।
पण तद तांई जयनारायण फोटू रै साम्ही सूं हटग्यो हो। कमरै सूं बारै आयो अर ओसारै मांय किवाड़ री ओट मांय ऊभी सविता कानी अेक निजर देख्यो। होठां माथै मुळक तिसळी अर ....'चालूं...` कैय`र घर रै बारणै सूं पार निसरग्यो।
सविता रै समझ मांय हाल ई कीं कोनी आयो हो। बीं नै कांई ठाह बाप-बेटै बिचाळै कांई बातां हुयी हुयसी ! बा तो फगत बाको पाड़्यां बीं नै बारै जांवती देखती रैयी बस। गळी रै मोड़ माथै जद जयनारायण री पीठ लुकगी तो जिंया सविता नै कीं चेतो हुयो अर बा ई हळवां हळवां मुळकण लागी।
-पूर्ण ार्मा 'पूरण`
प्रा. स्वा. केन्द्र रामगढ़
सेको अैन उण दिन सरू हुयो जद पैली-पै`ल बीं नै लाग्यो कै इब बाजार बदळग्यो है। बात भलां ई इतणी सी`क ई ही पण इयां मै`सूस हुवण सूं अैन पै`लां बीत्योड़ो कोई अेक पल बीं री बाकी बच्योड़ी जिनगी मांय खुसी सूं भर्यो छेकड़लो पल हुंवणो चावै हो।
अैन ओ ई पल हो जकै रै पछै बो चुप चुप अर गम्योड़ो-सो रैवण लाग्यो हो। दुकान मांय हुंवतां थकां ई कोनी हुंवतो-सो ! सै`र रै अैन बिचाळै, जठै हाल ई सै`र रो काळजो धड़कतो, बीं री दुकान ही। रेडिमेड गाभां री छोटी सी दुकान। आखै दिन बो दुकान मांय ई रैंवतो। आपरी साढी तीन नम्बरआळी मोटै फरेम री अेनक नै ऊपर हेटै सरकांवतो बैंवती सड़क नै जोंवतो रैंवतो। बडै झांझरकै ई उठ`र दुकान री बुहारी झाड़ी रो काम हाल ई बो हरमेस री भांत करतो। चौरावै माथै लाग्योड़ी टूंटी सूं बाल्टी भर-भर`र पाणी लांवतो। दुकान री तळी नै धोंवतो-पूंछतो। बारै सड़क माथै पाणी छिड़कतो। अेक बंधी-बंधाई लीक माथै सो कीं बिंयां ई करतो जिंयां लारलै बीस-इक्कीस बरसां सूं करतो आवै हो....का स्यात इण सूं ई बेसी बरसां सूं। जद सूं ई .... जद कै बीं रै होठां माथै रूंआड़ी ई कोनी फूटी ही स्यात !
घरां अेकलो छोरो हो बो। बीं सूं बडी पांच भैणां ही जकी कदेन री ई ब्याहीजी ही। सैंग सूं बडी दो भैणां रो ब्याव तो उण बखत ई हुयग्यो हो जद बो दो तीन साल रो ई हुयसी। बीं रै सावळ सूं चेतै कोनी जद भैणां री बारात आयी ही पण पछली तीनूं भैणां रै ब्याव मांय बो खूब भाज्यो भाज्यो फिर्यो हो। चिन्नो-सो कोई काम हुंवतो तो बापू बीं नै हेलो पाड़ता.... 'जैनू.... देखी दखां....`।
बापू कदेई बीं नै जयनारायण नांव सूं कोनी बतळांवता। खुद बीं नै ई बापू रो 'जैनू` कैवणो आछो लागतो। बीं नै लागतो जाणै इंयां कैंवतां बापू री मीठी-मीठी सौरम ई बीं तांई आयगी हुवै। मां अर भैणां री झोळियां सूं निसर`र बो बापू री रजाई मांय आ बड़तो.... 'म्हैं तो अठै ई बैठस्यूं....`। बापू री रजाई मांय बापू री सौरम ! बीं नै ब्होत आछो लागतो।
आपरै छेकड़ला दिनां मांय बापू रा सामला च्यारूं दांत टूटग्या हा। आदत मुजब बै अबार ई बीं नै जैनू कैय`र बतळांवता। पण 'जै...नू..` कैंवतां थकां जैनू रो 'नू` कठैई बिचाळै ई गम`र रैय जांवतो। बीं नै अटपटो सो लागतो। बापू रै खुल्लै मूंडै कानी केई ताळ देखबो करतो बो।
बापू दुकान जावण री टाळ कोनी करी कदेई। अठै तांई कै आपरै छेकड़लै दिन ई बै दुकान मांय ई हा। हां.. लारलै केई बरसां सूं जयनारायण ई बापू रै काम मांय सा`रो लगावण लाग्यो हो। हांडी बखत इस्कूल री छुट्टी हुयां पछै का कदे कदे पूरै दिन ई।
कदे कदे तो बीं नै दिनुगै पै`ली ई दुकान मांय आवणो पड़तो। दुकान री बुहारी-झाड़ी, धूप-बत्ती सूं लेय`र गिराक नै सामान दिखांवणै अर सामान री 'पैकिंग` करणै तांई रो काम ब्होत सावचेती सूं करतो बो। ...बापू दुकान मांय हुंवता तो ई।
सै`र रै नेड़ै-तेड़ै रा गामां सूं आवणियां गिराकां सूं बापू खूब बतळांवता... 'बेटी रो ब्याव कद है ?` बां री बतळांवण मांय घर-बारै सूं लेय`र धरम-करम री ब्होत सारी बातां हुंवती। गिराक ई बापू साथै ब्होत हेत राखता। बीं नै गादी माथै बैठ्यो देख पूछता...'बेटो है कांई ?` पडूतर मांय बापू री आंख्यां मांय चिलको बध जांवतो अर बां रो हाथ खुदोखुद बीं रै कंधोळै माथै कसीज जांवतो।
आपरै छेकड़लै दिनां मांय बापू री हरेक बात रो नमेड़ अटपटो-सो हुंवतो। बतळांवतां थकां बां री आंख्यां मांय अेक गम्यो-गम्यो सो भाव उतर आंवतो। बै घड़ी घड़ी आपरी मोटै फरेमआळी अेनक नै उतारता अर धोती रै पल्लै सूं पूंछण लागता। इंयां कर`र बै आपरी आंख्यां सूं झबळक आयी खालीपणै री किरचां नै पूंछता हुंवता जाणै। बो बापू रै मूंडै कानी देखबो करतो। बां रो मंूडो खुलो हुंवतो जाणै 'जै...नू..` कैय`र कीं कैवणो चांवता हुवै।
बां दिनां कीं कीं समझण लाग्यो हो बो कै सीधा दुनियादार लागता बापू क्यूं अेकदम ई दरवेस दांई लागण लागता हा।
दुकान रो काम बिंयां तो ठीक-ठाक ई हो पण अेक रै पछै अेक हुंवता गया भैणां रै ब्यावां रा खरचां पछै इतणो पीसो कनै नीं रैयो हो कै बाजार री जुरतां नै पूर्यो जा सकै। बिंयां तो गामां सूं आवणिया गिराक हाल ई बापू कनै आंवता हा पण जी` सोरै रा 'आइटम` नीं लाधता। दुकान सूं खाली हाथ निसरतां कठैई कीं छूट`र रैय जांवतो जाणै। हळकी अर बिनां जुरत री कोई चीज लेय`र बापू रो हेत अर आ-बैठ बणायां राखण सारू कोसिस करता बिच्यारा गिराक।... पण आमदनी तो घटै ई ही।
इस्कूल री पढाई पूरी कर्यां पछै जयनारायण इब कॉलेज जावण लाग्यो हो। अेक दो 'पीरीयड` रै पछै बीं कनै बखत ई बखत हुंवतो इब। इंयां दुकान मांय बीं री हाजरी लगोलग बणी रैंवती। लगैटगै रोज ई दिनुगै पै`लां आवणो पड़तो अर सिंझ्या तांई रैवणो ई। बापू ठाह नीं कांई जुगाड़ मांय लाग्या रैंवता आं दिनां। दुकान सूं गायब हुंवता तो पूरो पूरो दिन निसर जांवतो। बो अेकलो ई दुकान री गादी सूं चिप्यो रैंवतो। खाली हुंवती अलमारियां कानी देखतो का बारै सड़क कानी। बारै सड़क माथै भीड़ मावती ई कोनी। ...भीतर ? खाली खाली दुकान रै भीतर बो हुंवतो.... खाली खाली ई। बैंवती सड़क सूं इंयां ई कदेई कोई गिराक छिंटै दांई उछळ`र दुकान मांय आ बड़तो तो बो फुरती सूं आपरी जिग्यां माथै आ जचतो। इस्या मौका मांय जद कदे ई बापू खुद दुकान मांय हुंवता तो बीं नै कोई घणी अबखाई कोनी हुंवती। बापू आपरै खास अंदाज मांय घुमा-फिरा`र सागी बा ई चीज दिखा देंवता जकी खातर गिराक पै`लां ई नाड़ मार देंवतो भलां ई। इस्यै मांय जे कोई जांण पिछांणआळो गिराक हुंवतो तो बापू रै चासणीआळां सबदां मांय अळूझतो ई अळूझतो। ...पण लगैटगै इब गिराकां नै आइटम घट ई दाय आंवता। कदे कोई 'बाबा सूट` का निक्कर आद दाय आ ई जांवती तो उण रो नम्बर छोटो हुंवतो का कीं ठाडो हुंवतो। 'छब्बीस नम्बर रो दिखाद्यो...` गिराक रै कैयां पछै बो इंयां ई झूठां ई आलमारी मांय हाथ मारतो। ठाडो नम्बर हुंवतो तो उण रो रंग अर डिजाइन सागी कोनी हुंवतो। छेकड़ गिराक खाली हाथ बारै...। गिराक घट्या तो घटता ई गया। अठै तांई कै कदे कदे तो बोवणी तकात ई कोनी हुंवती।
ठीक आं ई दिनां जद बजार सूं बां री दुकान रो गम जांवणो लगैटगै तै ई हुयग्यो हो, बापू अेक इस्यो फैसलो कर्यो कै दुकान ओजूं दीसण लागी।
आं दिनां सै`र भाजणो सरू ई कर्यो हो। अर उण रै भाजता पांवडां नै कीं बेसी 'स्पेस` री दरकार ही। भाजतै सै`र रो मूंडो जिन्नै हो बिन्नै ई बां रो घर हो। भूतियां रो बास। सै`र रै अगूणै पासै कीं कीं अळगो सो लागतो, ढाणी बरगो बास। जठै काची अर अधपाकी ईंटां सूं बणायोड़ा घर, घर कम अर मुरगियां रा दड़बा बेसी लागता। आं खिंड्योड़ा सा दड़बां बिचाळै ई बां रो दड़बो ... मतलब घर ! घर रै साम्ही अर पसवाड़ै दूर तांई खाली जिग्यां पसरी हुंवती, जकी माथै बोरड़ी, कींकर अर खेजड़ी रा दरखतां रै साथै साथै कैर, बुई, खींप अर सीणिंया रा बोझा ई पसर्योड़ा हुंवता। बो भखांवटै ई लोटो लेय`र 'ल्है-ल्है` करता आं बोझां लारै फिरण सारू जांवतो। बावड़ती बरियां दुड़की लगांवतो तो ताजा बायरो बीं री छाती मांय भर आंवतो। सै`र री सड़कां हाल इन्नै कोनी आयी ही। जिन्नै मूंडो करो बिन्नै ई भाज छूटो। इब जद सै`र रा भाजता पग अठै तांई पूग लिया तो साथै साथै सड़कां ई पूगली। देखतां देखतां ई खाली पड़ी जमीनां अड़ाडोट हुयगी।
बापू स्यात भाजतै सै`र री सांसां नै पै`लां ई मै`सूस लियो हो। बां दिनां ई अेक सिंझ्या घरां आंवतां ई बां उतावळी सी पण कीं मर्योड़ी सी आवाज मांय कैयो.. 'आपां किरायै रै घर मांय चालस्यां`।
अबैं जाय`र बीं रै समझ मांय आयी कै बापू सगळै सगळै दिन कठै गम्या रैंवता हा।
घर रै बिकणै सूं जको पीसो हाथ आयो उण सूं दुकान मांय सामान बधायिज्यो। सामान बध्यो तो गिराकी ई ओजूं बधण लागी। सरू सरू मांय घर बेचण रै बापू रै इण फेसलै नै बो सई कोनी मानतो हो। अलबत आपरी निराजी चौड़ै कोनी करी बण पण मन ई मन बापू सारू अेक रीस रो भाव बण्यो रैंवतो। दुकान सूं बावड़`र किरायै रै घरां आंवतो, जको दुकान री पिछोकड़ी गळी मांय हो, तो लागतो जाणै किण ई अणचौबड़ जिग्यां आयग्यो हुवै। रात नै नींद मांय आळ-जंजाळ मांय फंस जांवतो। इण बिचाळै खाली बखत मांय बो दो अेक बरियां आपरै पुराणियै घर कानी ई हुय आयो हो। बठै पैलड़ी भींतां नै हटाय`र नूंवी 'बिल्डिंग` घालिजै ही। खाली पड़ी दूजी जमीनां माथै ई काम चालै हो। रेत अर सिम्मट रै डूंडां बिचाळै बो मोड़ै तांई ऊभौ रैयो.... गम्योड़ो सो। भीतर कठैई अेक डूंड उठ्यो अर देखतां ई देखतां बारै उठता रेत अर सिम्मट रै डूंडां मांय जा रळ्यो। डाफांचूक सो बो बावड़ तो आयो पण पग पूठा पड़ै हा।
दुकान मांय गिराकी बधी तो थिति कीं सुधरण लागी। बापू री खाली खाली आंख्यां मांय इब पैलड़ी सी चिलक बावड़ आयी ही। बीं नै इब लागण लाग्यो, बापू सई बखत मांय सई फैसलो लियो हो। सिंझ्या गल्लै सूं आखै दिन री बिकरी गिणतां थकां बीं रै भीतर इब विरोध अर रीस री जिग्यां बापू सारू आसति रो भाव हुंवतो।
घर री बिकरी रै पीसै सूं अेक काम और कर्यो बापू। लग्यै हाथ बीं रो ब्याव ई कर दियो।
सविता बीं री जिनगी मांय आयी तो खुद रै घर सारू बीं री रही-सई टीस ई जांवती रैयी। साल हुंवतां हुंवतां बो अेक टाबर रो बाप ई बणग्यो। पढाई पकायत ई छूटगी ही। .... हां मन मांय हाल ई अेक उडीक ही कै अबकाळै पढस्यूं। पण इंयां हुयो कोनी कदेई। बापू अेक सिंझ्या सोया तो दिनुगै सूत्या ई रैयग्या। थिर सूत्या बापू कानी बण देख्यो बापू रो मूंडो खुल्लो रैयग्यो हो। बीं नै लाग्यो स्यात बापू कीं कैवणो चावै हा।
केई महीनां पछै मां ई बीं नै छोड`र चाल ब्हीर हुयी तो बो जाणै कतैई अेकलो हुयग्यो। बापू रै चल्यां पछै जुमेवारी रै ओचट भै सूं झिझको खाय`र थम्योड़ा आंसू मां रै मरणै साथै ई सगळा बंधा तोड़ग्या। सारी सारी रात रोंवतो रैयो बो। सविता बीं नै थ्यावस दिरांवती रैंवती पण बो घड़ी घड़ी आपरो सिर हलांवतो रैयो... 'इब किंयां हुयसी....`।
बखत निसर्यां जयनारायण खुद नै ओजूं सम्हाळ लियो। दुकान रो काम ई जिंयां तिंयां चालतो रैयो। दो छोरी ही अर अेक छोरो। तीनूं पढै हा हाल। घर हाल ई किरायै रो हो। हां.. दुकान घरू ही। स्यात आ ई अेक खुसी ही भीतर।
गिराकी घणी तो कोनी ही पण काम-चलाऊ ही। दुकान मांय बिकरी रो पीसो लेय`र बो लुधियाणै जांवतो अर रेडिमेड रो सामान ले आंवतो जको महीनै तांई मोकळो रैंवतो। इण सूं बत्तो नांणौ ई कोनी हो बीं कनै। बापू रै बखत मांय जको कीं पल्लै हो बो बापू अर मां रै औसर मांय लागग्यो। दुकान री आमदनी तो हाथ सूं मूंडै तांई ई ही। रोज कूवो पटो अर रोज पाणी पीवो। अर फेर महीनै तांई घर रो खरचो अर टाबरां री पढाई ई तो पांख पड़ा देवै है ! लुधियाणै जांवती बरियां हरेक गेड़ै बीं रै मन मांय हुंवती कै कीं मूंगा आइटम लेय`र आवूं। गिराकां री जुरतां दिनूंदिन बदळै-बधै ही। सामान रै तोड़ै मांय गिराक खाली हाथ निसरतो तो काळजै मांय डीक सी चालती।
दुकान मांय बड़तां ई गिराक जद 'लेविस` रो कोट का 'कूटोन्स` री पैंट मांगतो तो काळजै री डीक आंख्यां मांय उतर आंवती। पण फेर ई पड़तख मांय बो गिराक नै सस्तै कोट अर पैंट मांय अळूझाणै री कोसिस करतो। आपरै चासणी लपेटड़ा सबदां सूं गिराकां नै पटावतां थकां बीं नै लागतो जाणै बापू बीं रै भीतर उतर आया हुवै। बीं रै लम्बूतरै चेरै माथै कीं कीं भीतर नै सरकती गंज देख`र सविता ई आं दिनां कैवण लागी ही, ' थे तो अैन बापू दांई लागण लाग्या`। सुण`र आंख्यां मांय थम्योड़ो पाणी ढळकण नै हुंवतो.... जाणै साम्ही जोड़ायत नीं कोई गिराक ऊभौ हुवै अर 'मोटिंकार्लो` री 'टी ार्ट` मांगतो हुवै।
लागण नै तो केई दिन पै`लां सूं ई बीं नै इंयां लागण लाग्यो हो कै बीं रै इंयां झाड़-बोझै बारैकर फिर्यां नाको कोनी लागै। दुकान मांय जको कीं हो बो नूंवी मांग मुजब कतैई नीं हो। इन्नै आं दिनां बीं रै दोनूं कानी अर साम्ही री लैण मांय बोदी दुकानां नै फोड़`र नूंवी बिल्डिंगां घलै ही। बीस बीस फुट ऊंची सटरआळी दुकानां कानी देखतां ई आंख्यां मांय चिलको पड़ै इसी। खुलै सटर रै भीतर चम-चम करता सीसां मांय धर्योड़ा रेडिमेड रा 'शोपीस` बैंवती सड़क नै बारै सूं मलोमल मांय खींच ल्यावै।
अछंट जयनारायण नै लाग्यो कै सगळै रा सगळा लोग बां ई दुकानां मांय बड़ रैया हा। बो ई पल ....अैन बो ई पल हो जद ओ सेको बीं रै भीतर जाम्यो। बो भीतर तांई धूज`र रैयग्यो जद बीं नै लाग्यो कै बीं री दड़बै बरगी दुकान मांय इब कोई नीं आयसी। दिनुगै सूं सिंझ्या तांई दुकान री गादी माथै बैठ्यो रैवणियो बो मतलब जयनारायण मतलब आपरै बापू रो 'जैनू` किण ई दिन इंयां ई गादी सूं चिप`र रैय जायसी... अेकलो अर अळगो ! बारै बैंवती सड़क हुयसी पण भीतर सो कीं थम जासी।
भै सूं धूजण लाग्यो बो। बारै सड़क कानी देख्यो। तिसळती भीड़ मांय आपरा जाणकार गिराकां नै पिछाणणो चायो....पण....बण देख्यो सगळी भीड़ कतैई अणचौबड़ ही। आज सूं पै`लां बां नै कदेई कोनी देख्यो हो बण। बो सै`र रै अेक अेक मिनख नै जाणै हो पण ...पण भीड़ मांय सै`र रो अेक ई मिनख कोनी हो। सै`र तो सै`र गामां आंवणिया गिराकां, जकां नै बो बापू रै बखत सूं ई जाणै हो, बैंवती सड़क सूं गायब हा। आ किंया हुयी बटी। सैंग रा सैंग अणजाण ! ठाह नीं कठै सूं आयग्या इतणा सारा अणजाण लोग ! अेक समचै ई ? इण सूं पै`लां कठै हा अै... बीं रै समझ मांय कोनी आयी। घबरावट मांय बीं री सांस फूलण लागी। लाग्यो काळजो फड़क`र बारै निसरसी। बण जोर जोर सूं सांस खींचण री कोसिस करी। इंयां करतां थकां बीं री आंख्यां लट्टू री दांई बारै लटकण नै हुय आयी। धूजतै हाथां बण आपरी अेनक पसवाड़ै हटायी अर आपरो लिलाड़ मसळण लाग्यो। पसेवै रा कतरा हथाळी मांय चिपग्या तो बीं नै लाग्यो बीं री घबरावट और बधगी अर बीं रो काळजो फड़कै चढग्यो। बो धूजण लाग्यो। गै`बरतां बण आपरी हथाळी कानी ओजूं देख्यो। हथाळी री लीक हळवां हळवां गमण लागी। बण आपरै सिर नै झटको दियो अर ओजूं देख्यो...। अबकाळै पूरी हथाळी ई गमगी। हथाळी री जिग्यां खाली ही। बो घड़ी घड़ी हथाळी री खाली जिग्यां कानी देखतो रैयो अर आपरै सिर नै झटकतो रैयो। भै री अेक रीळ आयी अर बीं री रूंआड़ियां री बंधा अेक समचै ई टूटग्या। अर बो पसेवै रै दरियाव मांय डूबतो गयो।
इण घटना नै घट्यां आज चौथो दिन हो। बीं री खतरनाक चुप्पी नै ई आज चौथो दिन हो। सविता सो कीं देखै ही पण जाण`र कोई जिकर कोनी कर्यो बण। आं दिनां मांय दुकान री घटती बिकरी छानी कोनी ही बीं सूं। अबार दूसरो महीनो ई कदेन रो ई टिपग्यो हो पण लुधियाणै जांवण रो जिकर तकात कोनी कर्यो हो जयनारायण। आं नै चिंत्या नीं हुयसी तो किण नै हुयसी, सोच्यो सविता ! पण चौथै दिन ई चालती इण चुप्पी सूं भीतर तांई धूजगी सविता। हुवै नीं हुवै, बात कीं और ई है। तंगी तो बापू रै बखत सूं ई ही पण इंयां तो कोनी हुयो कदेई !
रोजिना री भांत दिनुगै पै`ली दुकान जांवती बरियां बापू री फोटू साम्ही ऊभौ हो जयनारायण ! सविता उण बखत ई सोच लियो हो कै सिंझ्या घरां आयसी जद लाजमी पूछस्यूं।
सिंझ्या जयनारायण घरां आयो तो बीं रै मूंडै कानी देख`र सविता री हिम्मत कोनी हुयी कै कीं पूछ लेवै। मोड़ै तांई उडीकती रैयी...स्यात टाबर सोयां पछै पूछूं दखां कांई बात है ! पण इंयां हुयो कोनी...। नींद कद मांयकर आय`र फिरगी ठाह ई कोनी लाग्यो।
दिनुगै न्हा-धो`र ओजूं बापू री फोटू साम्ही हो जयनारायण। सविता रसोई मांय जांवती जांवती देख्यो, बो फोटू रै साम्ही आंख्यां मीच्यां ऊभौ हो।
कीं ताळ पछै जयनारायण आपरी आंख्यां खोली अर पूठो मुड़ण लाग्यो.... पण छिन-अेक लाग्यो जाणै बापू री फोटू रा होठ हाल्या हा। बो जांवतो जांवतो थमग्यो। सविता हाल रसोई मांय ई ही। केई ताळ पछै बीं रै चेतै आयी, 'स्यात बै हाल तांई गया कोनी` ! बा कमरै रै खुलै बारणै तांई आयी। देख्यो, जयनारायण हाल ई फोटू रै साम्ही ऊभौ है। बण सुण्यो, जयनारायण होठां ई होठां मांय कीं बरड़ावै हो। बिना किण ई खटकै-पटकै बा किवाड़ां री ओट मांय हुयगी अर कान मांड लिया। ..पण सिवाय बरड़ाट रै और कीं कोनी सुणिज्यो। लारलै च्यार दिनां सूं बीं रै भीतर भेळी हुंवती चिंत्या औचट भै मांय बदळगी। बण जोर सूं हेलो पाड़णो चायो...........'पुन्नु... रा बापू....`।
पण तद तांई जयनारायण फोटू रै साम्ही सूं हटग्यो हो। कमरै सूं बारै आयो अर ओसारै मांय किवाड़ री ओट मांय ऊभी सविता कानी अेक निजर देख्यो। होठां माथै मुळक तिसळी अर ....'चालूं...` कैय`र घर रै बारणै सूं पार निसरग्यो।
सविता रै समझ मांय हाल ई कीं कोनी आयो हो। बीं नै कांई ठाह बाप-बेटै बिचाळै कांई बातां हुयी हुयसी ! बा तो फगत बाको पाड़्यां बीं नै बारै जांवती देखती रैयी बस। गळी रै मोड़ माथै जद जयनारायण री पीठ लुकगी तो जिंया सविता नै कीं चेतो हुयो अर बा ई हळवां हळवां मुळकण लागी।
-पूर्ण ार्मा 'पूरण`
प्रा. स्वा. केन्द्र रामगढ़
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