Tuesday, November 30, 2010

धीवड़ नै सीख

मराठी कहांणी

धीवड़ नै सीख
मूल- सांईनाथ पाचारणे
अनुवाद- पूर्ण ार्मा 'पूरण`

भाख पाटंणंनै ई ही कै तारा रै रूड़ उठंण लागी। उण रै पेट मांय जांणै वीज रौ कड़ड़ाट उठै हौ। 'अरया ई` कैंवतां थकां वा ऊभी हुयगी। कामळियै नै पासै सरकाय दोंनूं हाथां सूं आपरौ पेट थाम्यौ तौ मूंड़ै सूं चिरळी नीसरगी अर मूंडै माथै पीड़ री लकीरां मंड आयी। कीं ताळ पछै पेट मांय वा वीज ओजूं कड़ड़ाई। अबकाळै उण री चिरळी घंणी जोर सूं ही। कनै ई उण रौ घरधंणी दसरथ सूत्यौ हौ। तारा री चिरळी सुंण वौ जागग्यौ।
''कांई हुयौ ?`` वंण पूछ्यौ।
''पेट मांय रीळ चाळै।`` तारा कैयौ।
''कद सूं ?``
''घंणी ई ताळ सूं। थारी नींद मांय भिचोळ नीं पड़ै इण खातर थांनै जगायौ कोंनी। समझ मांय कोंनी आवै....कांई करूं ?`` उण रै मूंडै पीड़ री लकीरां ओजूं मंड आयी अर वंण दसरथ कांनी देख्यौ।
''पांणी मांय सोडौ रळाय पीवंण नै देवूं कांई ? का बिंना दूध री चाय बणायंनै झलावूं ?`` दसरथ टाबरां री ढाळ पूछ्यौ।
''थे जकी समझौ हौ बिसी पीड़ कोंनी म्हारै।``
''तौ ?``
''अबैं थांनै कियां बतावूं ? अबार म्हारै टाबर हुवंणवाळौ है.... आ उण री ई पीड़ है।``
दसरथ हांस पड़्यौ। पछै आपरै सिर माथै थाप मारतां बोल्यौ, ''आ बात तौ म्हैं सोची ई कोंनी।``
''थे थारी मां नै जगावौ।`` तारा बोली।
दसरथ फुरती सूं ऊभौ हुयग्यौ। आपरौ कामळियौ पगां सूं परै धक दियौ अर भाजंनै बारै आयग्यौ। बारंणौ खोल वौ आंगणै मांय आयौ।
हाल तांई भाग तौ पाटगी ही पंण मूंअंधारौ हौ। घराळा सैंग आंगंणै मांय सूत्या हा। गाढी नींद मांय। अेक ई बिछावंणै मांय सूत्या सगळा अेक दूजै रै चिप्यां सूत्या हा। बायरै मांय ठंड ही। ठंडी पूंन लाग्यां दसरथ भेळौ-भेळौ हुवै हौ पंण हाल ठंड री चिंत्या करंण रौ बखत नीं हौ। भीतर तारा हाल-बेहाल हुयरी ही। वौ आपरी मां कंनै गयौ अर धंधोळतां थकां कैयौ, ''मां जाग..... जाग मां !``
दसरथ री बोली सुंण मां जागगी। उतावळी-सी ऊभी हुय दसरथ सूं पूछ्यौ, ''कांई हुयौ रै दसरथ ?``
''तारा रै पेट मांय रूड़ उठरी है।``
''....हैं ? कद सूं ?``
''घंणी ई ताळ सूं।``
''तौ बेटा..... पैलां क्यूं नीं जगायौ म्हंनै ?``
चंदरोबाई फुरती सूं ऊभी हुयगी। आपरै डील माथै साड़ी सावळ करी अर घर रै मांय जावंण लागी। उण बखत उण रै कांनां मांय तारा रै टसकंण री आवाज पड़ी। उण मंन-मंन ई सोच्यौ? '....ब्होत दुख पांवती हुयसी बीनंणी..।` पछै वा बेटै कांनी मंूडौ फोरंनै बोली , '' थूं इंयां क्यूं ऊभौ है....खंबै दांई ? जा कोई गाडी-गूडी रौ सराजांम कर। उण नै सफाखांनै मांय ले जावंणौ चाइजै।``
''इण वेळा किंण री गाडी ढूंढूं। अबार दिंन उगाळी ई कोंनी हुयौ।`` दसरथ दाझतौ-सौ बोल्यौ।
''चायै किंण री ई देख। किंण ई नै हेलौ पाड़, इस्यै बखत मांय कोई नटै कोंनी। अर हां.... उण नै उतावळ करंण री कैय देयी। भलां ई भाड़ै रा दौ पीसा बेसी लाग जावै।``
''काळू नरकै री गाडी देखूं दखां।`` दसरथ बोल्यौ।
''जा जा... देखै वा ई देख, पंण जा तौ सरी।``
इतंणौ कैय चंदरोबाई भीतर आपरी बीनंणी कंनै गयी अर दसरथ बारै। इस्यै अंधारै मांय आंगंणै सूं ढळतां ई वौ काळू रै घर कांनी ढणकां हुय लियौ।
दसरथ रै औ पैलीपोत रौ कांम पड़्यौ है। उण री जोड़ायत रै पैलीपोत रौ टाबर हुंवणवाळौ है। दसरथ अर तारा रौ ब्याव हुयां नै दौ साल हुयग्या। नौ महींना पैलां तारा जद दसरथ नै आ आछी खबर दीवी कै वा उण रै टाबर री मां बणणवाळी है तद दसरथ उमाव सूं भरीज्यौ। आपरौ अंस तारा रै पेट मांय पळै इण बात सूं वौ घंणौ राजी हुयर्यौ हौ। बियां ब्याव रै बखत तारा दसरथ सारू कोई अणचौबड़ छोरी कोंनी ही। तारा उण रै मांमै री बडोड़ी छोरी ही। दोंनूं अेक-दूजै नै टाबरपंणै सूं ई जांणै हा। उनाळै री छुटि्टयां मांय दसरथ जद मांमै रै अठै जांवतौ तद वै दोंनूं साथै-साथै खूब खेलता पंण खेलंण सूं ब>ाा चड़भड़ता घंणा हा। इयां चड़भड़तां-चड़भड़तां ई वै जुवांन हुयग्या। आं ई दिंनां मांय सरंमा-सरंमी अेक-दूजै नै चावंण लाग्या। सेवट अेक दिंन ब्याव री चंवरी आय ऊभा हुया। ब्याव पछै घरवाळा सूं ओलै-छांनै जकौ कीं हुंवतौ रैयौ वौ सौ कीं आज लोगां रै साम्ही चौड़ै हुवंण वाळौ है, दसरथ नै इण ई बात माथै रीस आवै ही। '... माड़ी हुयी बटी.... माड़ी` दसरथ खाकौबिळळौ सौ आपरी नाड़ हलांवतां थकां फटक....फटक अंधारै मांय बगै हौ। मंन ई मंन बातां करतौ। औचट गैलै मांय आपरी पूंछ मांय मूंड़ौ घाल्यां बैठ्यै अेक गंडक माथै उण रौ पग मेलीज्यौ। गंडक 'कोय...कोय` करतौ पासै भाजग्यौ। अचाणचक ई गंडक री 'कोय....कोय` सुंण दसरथ हाकौ-धाकौ रैयग्यौ। काळजौ फड़कै हुयग्यौ। बियां तौ हेठै पड़तौ-पड़तौ बचग्यौ पंण फेर ई वंण गंडक नै भूंडी-सी गाळ ठोकी अर आगींनै चाल पड़्यौ।
गांम हाल तांईं सूंत्यौ पड़्यौ हौ। काळू नरकौ गरंमी सूं आखतौ घरां आंगंणै मांय तुलछी-पलींडै सारै सूत्यौ हौ। उण री काळी-पीळी गाडी आंगंणै रै साम्ही ऊभी ही। धामंण गांम सूं लेय मोरवाड़ी तांईं वौ लोगां नै ढोयां फिरतौ। इण सूं ई उण रौ टाबर-टापरौ पळै हौ। धंधौ चालै ई सावळ हौ अर वौ चलावंणौ ई जांणै हौ। आधी रात कुंण ई बुलावौ, काळू निधड़क उण रै साथै हुय जांवतौ।
गाडी लावंण सारू दसरथ रै साम्ही सैंग संू पैलां काळू रौ ई चैरौ आयौ। वौ झांझरकै पैलां ई काळू रै घरां आया हेलौ पाड़ै हौ।
''काळू.....औ.... काळू।``
काळू री आंख खुलगी। कामळियौ सरकाय पूछ्यौ।
''कुंण ?``
''म्हैं हूं.... दसरथ।``
'' किंयां रै दसरथ..... इत्तै झांझरकै ई.... कांईं बात है ?``
''गाडी लेयंनै चाल..... म्हारी जोड़ायत नै सफैखांनै ले जावंणौ है।``
''सफैखांनै ?`` काळू इचरज सूं पूछ्यौ।
''और कांई .... मींदर जावंण सारू कैयौ है थंनै ?`` दसरथ तमकतां थकां कैयौ। काळू नै लाग्यौ उण री आवाज मांय तमक है। वौ बोल्यौ ''तमकै क्यूं है ? म्हैं तौ इंयां ई पूछ्यौ हौ।``
''तौ फेर ? म्हैं इसी भाखपाटी क्यूं आयौ थारै कंनै ?``
''किस्यै सफैखांनै ले जावंणौ है ?`` काळू पूछ्यौ।
''थूं ऊभौ हौ पैलां। गाभा पैहर अर गाडी काढ, पछै सौ कीं बता देस्यूं। घरां म्हारी जोड़ायत कुरळायरी है। ....वा पूरै दिंनां है। ``
काळू हांस्यौ। कामळियौ पासै करंनै वौ ऊभौ हुयग्यौ। हांसतां-हांसतां दसरथ सूं कैयौ, '' थारै कारंण ई उण लाई री आ हालत हुयी है। ब्याव पछै अेकलौ बीनंणी नै लियां घूमंण गयौ हौ। कदे अठै तौ कदे बठै। उण नै रांम रौ दरस करायौ। कानूड़ै रौ दरस करायौ। वै दोनूं थारै माथै क्यूं कोंनी राजी हुवै ?``
कैयां पछै काळू मांय गयौ पंण दसेक मिनट पछै हाथ-मूंडौ धोय, गाभा पैहर बारै आयग्यौ। दसरथ रै तालामेली हुयरी ही। उण नै अेक-अेक मिनट री उतावळ ही। काळू माथै रीस आयी पंण करै कांईं।
बारै आय काळू आपरी गाडी टोरी अर दसरथ सूं बोल्यौ, '' आज्या बैठज्या उतावळी-सी......``। दसरथ उतावळी-सी गाडी मांय बैठग्यौ। काळू गाडी नै दसरथ रै घर कांनी भजादी।
गाडी पूगगी। घर रै आंगंणै रै अैन सारै। दसरथ गाडी सूं कूद पड़्यौ अर काळू सूं कीं कैयां पछै आंगंणै मांय भाज्यौ। मांय तारा हाल ई चिरळी मारै ही। उण री मां आपरी बीनंणी नै धीर बंधावै ही, ''थोड़ी थ्यावस कर.... इंयां नां कर बेटी ! जरड़ी भींच ! लुगाई रै भाग मांय औ ई सौ कीं हुवै।``
''आग लागै इस्यै भाग रै`` तारा कुरळांवतीं-कुरळांवतीं दसरथ नै गाळ ठोकै ही।
उण ई बखत दसरथ आंवतां थकां कैयौ, ''मां उतावळ करौ ! गाडी बारै ऊभी है।``
दसरथ री मां चंदरौ बाई आपरी बीनंणी नै कैयौ, ''चाल ! उतावळ कर..... मंूडौ धोय ले, गाडी आयरी है।``
''चालौ`` कैय तारा ऊभी हुयगी। उण रै पेट री रूड़ इब बधगी ही। चंदरोबाई उण रौ बूकियौ पकड़ राख्यौ हौ। तारा उण रौ सारौ लेय ई चालै ही। उण चळू-अेक पांणी चेरै माथै नाख्यौ अर साड़ी रै पल्लै सूं पूंछ लियौ। पछै गाडी कांनी चालंण लागी। उण रौ सूंधौ हाथ दसरथ अर ऊंदौ हाथ चंदरोबाई थांम राख्यौ हौ। दोनूं पासै रै सारै तांण तारा आंगंणै ढळ गाडी कंनै पूगगी। तद तांईं काळू तींन-च्यार बरियां गाडी रौ होरंण बजा दियौ हौ। होरंण सूं आंगंणै मांय सूत्या और लोगां री नींद खुलगी। तारा री नणद ई जागगी। तारा कुरळावै ही। दसरथ नै उण रौ कुरळावंणौ चोखौ कोंनी लागै हौ। दिनुगै-दिनुगै नींद मांय भिचोळ पड़्यां, पैलां ई वौ फळीबंट हुयर्यौ हौ। इब तारा नै इंयां कुरळांवतौ देख बोल्यौ, ''चुप रै....क्यूं कंठ पाड़ै ? दीसै कोंनी कांई..... सगळा जागर्या है।`` चंदरोबाई नै दसरथ रौ रीसांणौ हुवंणौ चोखौ कोंनी लाग्यौ। बोली, ''थूं क्यूं रातौ हुवै उण माथै ! दीसै कोंनी बिच्यारी कितंणी दुख पावै.....! रोयां कांई मजौ आवै उण नै ?``
दसरथ चुप रैयौ।
पछै दोनुवां तारा नै गाडी मांय बिठायौ। चंदरोबाई तारा रै कंनै बैठगी। उण तारा रौ सिर आपरी झोळी मांय ले लियौ। तारा री नणद अेक कामळियौ लायंनै आपरी भावज नै दियौ। दसरथ काळू साथै बैठग्यौ। उण काळू नै गाडी टोरंण रौ कैयौ।
''थोड़ी हळवां.......।`` चंदरोबाई बोली।
काळू होळै-होळै गाडी चलावै हौ। पक्की सड़क माथै ई वंण गाडी चांपी कोंनी। तारा रै पेट मांय अबैं पैलां सूं घंणी रूड़ आवंण लागी। पीड़ रै कारंण वा आपरी नाड़ मारै ही। हाथ-पगां नै हलावै ही। बिचाळै ई दोंनूं हाथां सूं आपरौ पेट थांमै ही। कुरळांवती-कुरळांवती चिरळी मारै ही,....''औ रै मावड़ी....मरगी।``
चंदरोबाई उण नै धीर बंधावै ही।
''जी नां हला..... सौ कीं सावळ हुयसी..... अबैं सफाखांनौ नेड़ै ई है...... हिम्मत राख....।``
कैवंणौ सोरौ। तारा रौ हाल देखीजै कोंनी। कित्तीक हिम्मत राखै। अेक मोड़ माथै तौ उण रै पेट मांय जोर सूं वीज कड़ड़ाई। उण जोर सूं चिरळी मारी अर दोंनूं पग पसार दिया। पछै बेचेत हुयगी। चंदरोबाई रौ काळजौ जिग्यां छोड़ग्यौ। उण काळू नै गाडी थामंण रौ कैयौ। काळू गाडी थांमी अर पूछ्यौ, ''घंणी तकलीफ हुवै कांई ?``
''हम्बै ! लागै..... पूगंणै सूं पैलां ई टाबर हुयसी।``
पछै उण दसरथ सूं कैयौ ,''लाडी, बारै देख दखां ! किंण ई रौ घर का दरखत हुयसी जकै रै लारै तारा नै लेय जावूं।``
''अठै किस्यौ दरखत है ? घर ई किंण रौ हुवै हौ अठै ? अर जे हुवै ई तौ वौ क्यूं आपां नै खुद रै घरां बड़ंण देसी ?`` दसरथ बोल्यौ।
''देख तौ सरी।`` चंदरोबाई ओजूं कैयौ।
दसरथ हेठै उतरग्यौ। उण आपरी जिग्यां ई ऊभौ हुय इन्नै-बिन्नै ख्यांत्यौ तौ थोड़ी दूर दौ-तींन घरां री ढांणी दीसी। हाल तांईं दिंन ऊग्यौ कोंनी हौ। ढांणी रा लोग नींद सूं जाग्या ई हा। दसरथ बिंना कीं सोच्यां उण ढांणी कांनी भाज्यौ। उरलै पासै पैलीपोत रै घरां साम्ही बारंणै मांय जाय हेलौ पाड़्यौ, ''घरां कोई है कांईं ?``
दिनुगै पैलां कुंण आयौ है औ देखंण सारू अेक बूढळी बारै आयी। उण आपरै बारंणै माथै ऊभ्यै दसरथ नै देख्यौ अर पूछ्यौ, ''कुंण....? किंण नै देखै हा ?``
दसरथ अड़वड़तां थकां कैयौ, ''बडकी.... थोड़ी इमदाद चाइजै ही ! म्हे तौ रासै मांय पजग्या।``
''कांईं इमदाद चाइजै ?``
''म्हे नंद गांम सूं आया हां। म्हारी जोड़ायत रै टाबर-टीकर बापरंण वाळौ है। उण रै रूड़ माथै रूड़ सरू हुयरी ही इण खातर म्हे उण नै मोर गांम रै सफैखांनै लेय जावै हा पंण गैलै मांय ई वा बेचेत हुयगी। लागै स्यात टाबर तौ गैलै बिचाळै ई हुयसी। जे थारै घर-चौभींतै मांय आसरौ मिल जावै तौ ......``
कैंवतां-कैंवतां दसरथ गळगळौ हुयग्यौ। इंयां लाग्यौ जांणै वौ अबार ई रोवंण ढुकसी।
डोकरी नै दसरथ माथै दया आयगी। दर ई नीं सोच वा बोली, ''हां...हां, उडीक किंण बात री ? जावौ अर उतावळी-सी उण नै मांय ले आवौ। औ थारौ ई घर है। संकौ करंण री कांईं बात ?``
दसरथ नै डोकरी री बातां आसरीवचंन-सी लागी। वौ उतावळी-सी भाजंनै गाडी कंनै आयौ अर बोल्यौ, ''मां चालौ, उतावळ करौ। तारा नै हेठै उतारौ। वा बडकी तौ ब्होत भली लुगाई है। वंण तारा नै मांय लावंण रौ कैयौ है।``
''भगवांन भोळै री मेर.....। भलौ हुवै वां रौ ! कंम सूं कंम आसरौ तौ मिल्यौ....।`` चंदरौ बाई हेठै उतरतां थकां कैयौ।
काळू गाडी रौ बारंणौ खोल दियौ। दसरथ तारा नै अेकलौ ई गोदी मांय चक उण घर कांनी भज पड़्यौ। रूड़ इब जोर पकड़गी अर तारा री चिरळी ई। पीड़ इब उण री कड़तू अर पेडू तांईं बधगी ही। उण रा दोंनूं पग जांणै लकवौ मारग्या हा। चंदरोबाई अर काळू ई दसरथ रै लारै-लारै भाज पड़्या।
दसरथ पैलीपोत रै उण घरां आंगंणै मांय आ पूग्यौ। उण बखत वा बडकी आंगंणै मांय ई ऊभी ही। उण री दोंनूं बीनणियां ई उण रै कंनै ई ऊभी ही। बडकी आपरै घरां पैलां ई सौ-कीं बता दियौ हौ। घर रा धंणी-टाबर आंगंणै मांय ऊभा दांतंण करै हा। दिनुगै-दिनुगै आपंणै घरां अेक नुंवौ पावंणौ बापरसी, इण बात सूं वां रै चेळकौ हौ। सगळां रै चेरै री रूंआड़ी ऊभी हुयरी ही।
दसरथ तारा नै गोदी मांय चक्यां आंगंणै मांय पूग्यौ। उण ई बखत बडकी अर उण री दोंनूं बीनणियां उतावळी-सी साम्ही आयी। वां तारा नै साम्यौ अर मांय लेयगी। चंदरोबाई ई वां रै लारै-लारै मांय बड़गी। जद दसरथ मांय जावंण लाग्यौ तौ बडकी उण नै बारंणै मांय ई थांम लियौ। बोली, ''मांय थारौ कांईं कांम ? टाबर हुवंण बखत मरद मांय कोंनी रैवै। म्हे संभाळ लेस्यां सौ-कीं। थे बारै आंगंणै मांय ई बिराजौ।``
दसरथ रौ मंन पाछौ पड़ग्यौ।
पछै काळू आपरी गाडी बसती रै कंनै लाय ऊभी करदी अर खुद दसरथ कंनै आंगंणै मांय आयग्यौ।
आंगंणै मांय दांतंण करतां-करतां घर रै लोगां दसरथ सूं जांणपिछांण काढंणी सरू करी।
''कठै रा रैवासी हौ ?``
''नंद गांम रा।``
''कांई नांव है आपरौ ?``
''म्हारौ नांव दसरथ अर बाबै रौ बालारांम घोलप है सा।`` दसरथ बतायौ।
दांतंण करणियां तींनूं जंणा बाबौ-बेटा हा। पूछणियौ मांणस वां दोंनुआं रौ बापू हौ। पाकी उमर। सिर रा बाळ धोळा। इरिगेसंन मांय नौकरी ही पैलां। अबैं नौकरी पूरी हुयां पछै घरां ई हा वै। वां आगै कैयौ, ''म्हैं सांतारांम घोलप नै जांणूं।``
''किंयां ?``
''म्हे दोंनूं इरिगेसंन मांय साथै-साथै ई हा।``
''वै तौ म्हारा काकौ सा है।`` दसरथ कैयौ।
''चोखी जांण-पिछांण नीसरी।`` बिचाळै ई काळू बोल्यौ। तद दांतंण करतां थकां बूढै कैयौ, ''चोखी बात है...... सांतारांम अर म्हैं सागड़दी हां। वां नै कैय देेईयौ म्हे सीतारांम जी रै घरां गया हा। पछै डोकरै आपरै दोंनूं छोरां सूं परिचै करायौ। दसरथ वां सूं रांम-रूंमी करी।
''चलौ पुरांणी पिछांण अबैं कांम आयगी.....``काळू बोल्यौ।
''वा बात कोंनी। जे आ पिछांण नीं हुवंती तौ ई म्हे थारी इमदाद करता.... अर आ पिछांण तौ हुयी ई पछै है।``
काळू अर दसरथ दोंनूं हांसंण लाग्या।
डोकरै सीतारांम रा दोंनूं छोरा हाल तांईं दांतंण करै हा। सीतारांम वां सूं कैयौ, ''मांय सूं दौ कुरसी ल्यावौ, पावंणा सूं आपां ऊभा-ऊभा ई बतळाय रैया हां।..... अर मालती सूं दौ चाय रौ कैय देवौ।``
बडोड़ौ छोरौ मांय सूं रबड़वाळी दौ कुरसी ल्यायौ। दसरथ अर काळू कुरसियां माथै बैठग्या।
''पैलीपोत रौ जापौ है नीं ?``
''हम्बै !`` दसरथ हामळ भरी।
''रूड़ कदसी`क सरू हुयगी ही ?``
''बडै झांझरकै ई।``
''सुसरौजी कठै रा है ?`` सीतारांम जी पूछ्यौ।
''राऊनबांडी रा है। वां रौ नांव संभाजी राऊन है।``
''वै होटळवाळा ?``
''हां, वां रौ होटल है। थे जांणौ वां नै ?`` दसरथ पूछ्यौ।
''चोखी तरियां......।``
''किंयां ?``
''भई झ्यांन मांय फिरेड़ौ हूं। हरेक गांमै म्हारी जांण-पिछांण है। जठै ई जावूं आपरी बोली रै बंट लोगां सूं जुड़ जावूं।``
सीतारांम जी घंणी अंजस सूं बात करै हा। थोड़ी ताळ पछै दोनुंवां खातर छोटकी बीनंणी चाय ले आयी। दसरथ मूंडौ धोवंण खातर पांणी मांग्यौ।
मांय सूं हाल ई तारा रै कुरळावंण री आवाज आवै ही। चाय पींवतीं बरियां जोर सूं चिरळी सुणीजी। पछै च्यांचप हुयगी। सैंग ठौड़ अबोलौ फिरग्यौ जांणै। थोड़ी ताळ.... फगत थोड़ी ताळ पछै टाबर री 'उआं....उआं` कांना मांय पड़ी। उण ई बखत बायरौ जोर सूं बैवंण लाग्यौ। दरखत री डाळी अर पानका हालंण लाग्या। बसती मांय चेळकौ बापर आयौ। सीतारांम जी री बडोड़ी बीनंणी भाजंनै बारै आयी अर बोली, ''नानियौ हुयौ है।``
''दसरथ रै चेरै अंजस बापरग्यौ।
''म्हारी गाडी बरदाऊ है जकै सूं थारै पैलीपोत रौ छोरौ हुयौ है।`` काळू छोरै री बडाई खुद लेवंण री कोसिस करी।
''आ बात कोंनी ! म्हारै घरां हमेस इंयां ई हुंवतौ आयौ है। इण घर मांय जपायत रै पैलीपोत रौ छोरौ ई हुवै। म्हारी मां रै सगळा छोरा हुया। म्हारी जोड़ायत रै ई दोंनूं छोरा हुया अर म्हारी बीनणियां रै ई पैलीपोत रा छोरा हुया है। इण खातर म्हैं तौ म्हारी बीनणियां नै जापै सारू पीअर कोंनी जावंण देवूं।`` सीतारांम जी कैयौ।
दसरथ रै नानियौ हुवंण री बडंम दोनुवां बांटली पंण दसरथ सारू कीं छोडां आ किंण रै ई मंन मांय कोंनी आयी।
सुरजी कद रौ ई ऊगाळी हुयग्यौ हौ। उण री झमाल चौगड़दै पसरगी ही। तद तांईं सीतारांम अर वां रा दोंनूं बेटां न्हावा-धोयी करली। सिरावंणौ कर लियौ। भीतर तारा रै संपाड़ै सारू पांणी तातौ हुयर्यौ हौ। उण नै जीमंण खातर ई कीं देईज्यौ हौ। दसरथ पूछ्यौ तौ भीतरियां कैयिज्यौ कै मां-बेटौ दोंनूं सावळ है। चिंत्या री कोई बात कोंनी।
.........अचुम्बै री बात.... तारा बीच गैलै मांय अणचौबड़ घरां टाबर जंाम लियौ......... दसरथ सोचै हौ। वां री घंणी इमदाद हुयगी, इब घंणी ताळ अठै थमंणौ आछौ कोंनी इण खातर वौ सीतारांम जी सूं बोल्यौ ,''चंगा.... अबैं म्हांनै सीख दीरावौ। थारी घंणी ई मेर रैयी, और तफौ सावळ कोंनी.......... पैलां ई घंणी मैरबांनी हुयगी।``
''मैरबांनी री कांईं बात है ? ओड़ी मांय तौ चोर ई इमदाद करै, म्हे तौ मिनख हां।`` सीतारांम जी कैयौ।
उण ई बखत चंदरौ बाई बारै आयी अर बोली, ``दसरथ ! काळू नै गाडी टोरंण रौ कैयदे। अबैं आपां नै पूठौ चालंणौ है। ``
सीतारांम जी बोल्या, ''इत्ती उतावळ कांईं है ? जीमं-जूठंनै जावौ।``
''नीं... नीं सा। थे ब्होत इमदाद करी है। और घंणा फोड़ा कोंनी घालां थांनै।`` दसरथ कैयौ।
''उण नै म्हे फोड़ा कोंनी मांना। थे तौ म्हारा पावंणा हौ। थांनै जीम्यां पछै ई जावंण देस्यां।`` कैयां पछै सीतारांम जी आपरी नाड़ आंगंणै कांनी फोरी अर हेलौ पाड़्यौ, ''मालती, जीमंण री त्यारी करौ दखां, पावंणा जीमंनै ई जासी।``
इब दसरथ कांईं बोलै हौ। वौ अबोलौ रैयग्यौ।
सीतारामजी फेरूं दसरथ कांनी देखतां थकां कैयौ, ''थे तौ मोरवाड़ी रै सफैखांनै जावै हा नीं ?``
''हां सा।``
''तौ गाडी बारै काढौ।``
''किंण सारू ?`` काळू पूछ्यौ।
''मोरवाड़ी मांय म्हारौ थोड़ौ-सौ कांम है..... जीमंण त्यार हुयां सूं पैलां आपां पूठा पूग लेस्यां।``
दसरथ अचुम्बै मांय काळू कांनी देख्यौ। सीतारामजी रै मांयली बात दोनुवां रै समझ कोंनी आयी। काळू अबोलौ ऊभौ हुयग्यौ अर गाडी कांनी चाल पड़्यौ। पछै दसरथ अर सीताराम ई चाल पड़्या।
मोरवाड़ी मांय सीतारामजी अेक गाभां री दुकांन साम्ही गाडी थांमंण रौ कैयौ। काळू गाडी थांमदी। दोनुवां नै गाडी मांय बैठ्या रैवंण रौ कैय सीतारामजी अेकला दुकांन मांय बड़ग्या। कीं ताळ पछै जद पूठा बावड़्या तद वां रै हाथ मांय अेक झोळौ हौ। दसरथ सोच्यो..... बूढै नै आपरी कीं चीज-बस्त लेवंणी ही पंण वंण कीं पूछ्यौ कोंनी।
पछै गाडी अेक सोंनी री दुकांन साम्ही थमवायी। सीतारांम वठै ई कीं लियौ। सगळौ कांम हुयां पछै सीतारांम जी बोल्या, ''चालौ ! इब पूठा चालां।``
काळू गाडी टोरी अर वै पूठा आयग्या।
दस बाजग्या हा। हाल सुरजी ई दौ लाठी चढग्यौ हौ। सीतारामजी रा दोंनूं छोरा आप-आपरै कांम माथै टुरग्या हा। वां री बीनणियां जीमंण त्यार कर लियौ हौ। तारा हाल सावळ ही। बडकी अर चंदरोबाई दोनुवां रळ मां-बेटै नै संपाड़ौ करा दियौ हौ। तारा जीसोरै सूं नानकियै कांनी देखै ही।
बडकी सगळां सारू जीमंण लगायौ। दसरथ रौ भूख सूं काळजौ टूटै हौ। सैंग धापंनै जीम्या। जीम्यां पछै दसरथ बोल्यौ, ''मायतां, अबैं म्हे चालां ! ब्होत मोड़ौ हुयग्यौ।``
''थोड़ी ताळ और थंमौ।`` सीतारामजी कैयौ।
''अबैं कांईं रैयग्यौ........... घंणौ ई कर दियौ थे तौ...।`` दसरथ बोल्यौ।
''दुनियां मांय लोग जावंण सारू ई आवै। म्हे कुंण हुवां हां थांनै थामणिया ? भला पधार्या थे...... म्हारै कांनी सूं कीं अकोर तौ अंगेजौ।`` पछै बूढै सीतारांम मांय झांकतां थकां आपरी जोड़ायत नै हेलौ पाड़्यौ, '' मालती ! म्हैं अबार जकौ झोळौ लेयंनै आयौ हौ वौ अठींनै ल्यायी दखां।``
मालती वौ झोळौ ल्यायी अर सीतारांम जी नै पकड़ा दियौ। उण झोळै मांय तारा खातर अेक साड़ी अर नानियै खातर झुगला-टोपी हा।
दसरथ बोल्यौ, ''मायतां ! औ कांईं कर्यौ थे ?``
''भला मांणसौ.... आ कांईं बात हुयी ! दिनुगै-दिनुगै म्हारै घरां नुंवौ जीव बापर्यौ है, उण री खातर म्हे नीं करस्यां तौ और कुंण ई करसी ? आ सोनै री सांकळी नानियै खातर !`` सोंनी री दुकांन सूं लायोड़ी अेक डब्बी दसरथ नै दिखांवतां थकां सीतारांम जी कैयौ।
औ सौ-कीं देख्यां पछै दसरथ अर चंदरोबाई री आंख्यां मांय पांणी भर आयौ। दसरथ सोच्यौ, कित्तौ-कीं कर्यौ है आं ! बोल्यौ, ''मायतां, थे तारा नै आपरी बेटी मांन ब्होत कीं कर दियौ....।``
''वा म्हारी बेटी ई समझौ... । बेटी आपरै पैलै जापै मांय पीअर आवै। आज म्हारी बेटी पीअर ई आयी है। म्हारै बेटी कोंनी ही। उपरलै री मेर सूं आज म्हंनै बेटी मिलगी। साच्यांणी जे म्हारै बेटी हुंवती तौ उण खातर म्हैं औ सौ-कीं नीं करतौ ! म्हैं जकौ कीं कर्यौ है वौ म्हारी बेटी खातर ई समझौ। .... अर अेक बात और ! इण बूढै री अेक बात मांनल्यौ। म्हारै बेटां रै कोई भांण नीं ही। आज रै पछै चायै रखपून्यू हुवै चायै दीयाळी पछै भाई-दूज..... भांण मांन म्हारै घरां आवंण देईयौ। इत्ती-सी बातड़ी जे मानस्यौ तौ म्हैं जाणस्यूं कै म्हारै दोंनूं बेटां रै अेक भांण है..... अर म्हारै अेक धीवड़।
कैंवतां-कैंवतां सीतारांम जी गळगळा हुयग्या। काळजै रौ हेत आंख्यां मांय ओलर आयौ। चौगड़दै च्यांचप्प हुयगी। कोई कीं कोंनी कैवै हौ। कुंण ई किंण सूं बतळायौ नीं।
औचट दसरथ रै कांईं जी मांय आयी ठाह नीं, झुकंनै सीतारामजी रै पगां लागग्यौ। इंयां करतां उण री आंख्यां मांय पांणी तिर आयौ। थोड़ी ताळ पछै सौ-कीं सावळ हुयग्यौ। रळी-किरंणां चौफेर पसरगी। दसरथ मंन ई मंन सोच्यौ, चलौ आच्छौ हुयौ, अेक नूंवौ नांनौ हुयग्यौ। नूंवौ मांणस नूंवौ रिस्तौ ! म्हे इण रिस्तै नै आखी जिनगी पार घालस्यां।
तारा आपरै नानियै नै गोदी मांय लियां बारै आयी। वंण सीतारामजी री लायोड़ी नूंवी साड़ी पैहर राखी ही। पल्लै सूं सिर नै बांध राख्यौ हौ। बारै आय गोदी मांय टाबर नै सावळ कर वा सीतारामजी रै पगां लागी। सीतारांम जी सीली आंख्यां आसीस दीवी।
''म्हैं आंवती-जांवती रैयस्यूं बाबा.......।`` तारा कैयौ।
डोकरै सीतारांम उण नै आपरी छाती सूं चेप लियौ।
पछै सैंग पूठा चाल पड्या। उण बखत सीतारांम जी रै घर रा सैंग जंणा गाडी कंनै ऊभा हा........धीवड़ नै सीख दीरावंण सारू... !

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