राज.... नीति
स्यात थे सोचता हुयसी कै अबार ई राजनीति रा डंड कढसी। बिंयां`स थारो इंयां सोचणो बेजां कोनी, क्यूंकै 'राजनीति` आजकलै कै`नाण दांई बरतीजै। कठैई कीं आछो हुंवतो हुवै तो झट कहिजै, 'थानै ठाह कोनी.... इण मांय कांई राजनीति है...।` अर जे कठैई कीं माड़ो ई हुय जावै तो.... 'आं ई तो बां री राजनीति है।` देख्या मजा ? इन्नै ई म्हे अर बिन्नै ई म्हे।
अेक बखत हो जद राजनीति सूं सीधो सनमन राखणिया ब्होत कमती मिनख हा। इंयां बी कैय सकां हां कै आंगळियां माथै गिणिजणआळा अै लोग राजनीति रै चौगड़दै बाड़ दांईं ऊभा रैंवता हा। ... बापड़ी राजनीति ! आम जनता सारू तो राजनीति चांद हो अेक्यूं रो। जको कदेई उग्यो ई कोनी। रजवाड़ां रो बखत फुर्यो तो राज ई फुरग्यो। राज रै फुरतां ई पासा फुरग्या अर आम जनता रै हाथ आयग्यो बो अेक्यंू रो चांद ..... मतलब झुणझुणियो। इब म्हैं ई लाडो री भुआ अर म्हैं ई ! दे घूत माथै घूत बिच्यारी राजनीति रो डील पाधरो कर न्हाख्यो। इस्यै मांय बणीठणी (?) आपरो डील बचावै का सिणगार ? नीति रो सिणगार छूटग्यो अर राज रा बोरिया खिंडग्या। राज...नीति छेकड़ छेकड़लै मिनख री नियति बणगी। कांई कैयो..गळत कैय दियो ? चलो खैर..
अेक बात तो थे ई मानस्यो कै राज तो जनता रो ई है। जनता सारू अर जनता रो राज। आपणै संविधान मांय ई आ ई बात लिख्योड़ी है। पण कुणसी जनता रो राज कुणसी जनता खातर ? समझ मांय आयी ? आपणा बडेरा आपणै सूं पै`लां जाम्या हा। ऊंच-नीच अर आगै-पाछै रो चेतो हो बां नै। संविधान मांय जनता रो जनता सारू राज लिखती बरियां बां रै दिमाग मांय आ ख्यांत तो लाजमी ई रैयी हुयसी कै अेक जनता बा जकी राज भोगसी अर.... अेक बा जकी राज भुगतसी। हुयसी तो दोनूं ई जनता। कोई समझै तो समझ लेवो अर नीं समझ मांय आवै तो कुचरबो करो सिर। क्यूं है नीं राज री बात ?
ल्यो ओजूं बठै ई पूगग्या। राज हुयसी तो नीति तो हुयसी ई। पण म्हैं थांनै आ बात मांड`र बता देवूं कै न्यारां रा बारणां अेक कोनी हुया करै। जद राज भोगणआळी जनता अर राज भुगतणआळी जनता न्यारी न्यारी हुय सकै तो बां माथै राज सारू नीति अेक किंयां हुय सकै ? मतलब फगत अेक सबद 'राजनीति` सूं किंयां नाको लाग सकै ! लागै ई कोनी अर लागणो बी नीं चाइजै। राज भोगणआळी जनता सारू राजनीति अर राज भुगतणआळी जनता सारू राजनियति...। अबार तो सावळ है ?
कैवण नै तो थे कैय सको हो कै इंयां कांई ठाह लागसी कै कुण राज भोगणआळो है अर कुणसो राज भुगतणआळो ? गतागम मांय अळूझण री जुरत कोनी। हरेक गांठ रो आंटो हुया करै। फेफां बाई राम राम ! किंयां पिछाण्यो ? ...डौळ देख`र। राज भुगतणआळी जनता रो डौळ कांई छांनो रैवै ? खुद रै राज मांय जकी जनता रै मूंडै माथै अेकर चेळको बापरै, समझल्यो राज भुगतणआळी जनता है अर जकां रा मूंडा हरमेस पळपळाट करता रैवै... राज भोगणिया।
बियां पिछाण रा अै झीणा आंटा स्यात थारै कीं कमती पल्लै पड़ता दीसै। कोई बात नीं सा... म्हैं कांई बारै रो हूं ? हूं तो थारै मांयलो ई। किण ई दूजी ढाळ सोध लेस्यां।
अेक रेवड़ मांय पांच सौ रै नेड़ै-तेड़ै भेड-बकरियां है। जे भेड बकरियां सूं चौगुणी हुवै तो न्यारी न्यारी गिणणै सारू थे कांई करस्यो ? कांई कैयो बकरी गिण`र पांच सौ मांय सूं घटा लेस्यो ? स्याबास... ! आ ई बात म्हैं कैवणो चावै हो कै इण भेड-बकरियां रै ठाडै टोळ मांय बकरी कमती है, तो बां नै ई गिणणी चाइजै। राज भोगण-भुगतणियां रै इण टोळ मांय राज भोगणियां नै सावळ तरियां चांक्या जाय सकै।
नूंवी ढाळ ई सई ! थे किण ई धोबी कनै जाय`र पूछ सको हो कै भाया कड़प लगा`र धोवण सारू कितणा चोळा-पजामा आयोड़ा है (बियां धोती सारू बी पूछ सको हो पण कांई है कै धोतीआळा कमती ई रैया है) ? का फेर टेलिफून मै`कमै मांय जाय`र ठाह लाग सकै कै मोटोड़ा बिल कितणा`क बकाया चालै ? बिंयां पूछण नै तो ओ ई पूछ्यो जा सकै कै किण किण रै घरां खेतर रा सगळा अखबार पूगै !
थे कैवो तो अेक लुकवां बात बतावूं सा ! हरेक थिति पूरमपट हुवण सूं पै`लां अेक 'प्रोसेस` मांय चालै। राज भोगणआळी जनता बी कोई अचाणचक ई त्यार कोनी हुवै। अेक लाम्बी अर आंटपटीली 'प्रोसेसिंग` चालतां थकां त्यार हुवै आ पौध। इस्कूल मांय क्लास री मानिटरी सूं बी सरू हुय सकै आ जातरा अर चमची सूं कुड़छो बणणै री 'प्रोसेसिंग` बी इण री चोभ हुय सकै। आंटा और ई घणा सारा है। कदे कदे 'आरक्षण` री सी`ल सूं बी नाको लाग सकै। मेह चायै ऊपरियां पटकीजै चायै धरती हेटै सूं चूवै.... मतलब तो कादै सूं है नीं ?
भाई दुलाराम जी, राम-राम !
ReplyDeleteम्हारै ब्लॉग माथै थे 'गोडा पुरांण` नै लेय खासा सावचेत लखाया पंण साची तौ आ है सा कै गोडा बी तौ दलित ई है , लुगाई री दांई दुर-छुर मांय जीवै, तौ फेर ? जठै तांई आं दोनूं वरगां रै उठांण री बात है तौ गोडां नै तौ फगत मिस ई बणाइज्यौ है असल बात तौ आं री ई है नीं ? बिंयां`स थारली बात ई जायज है स्यात सबदां रै उळझाड़ मांय चोभ री बात बारै नीं आय कठैई लुकनै रैयगी हुवै।