अेकलपौ
१
आभै सूं पड़ती
ओळ्यूं री अेक छांट सूं
किंया ठंडो हुवै
उकळती रेत सौ
म्हारो अेकलपौ
२
रूसेड़ी सी धरती
अैरकेड़ौ सौ
आभौ
कदै-कदै चिलकता
डर्योड़ा सा तारा
अर
च्यांचप अंधारौ
सैंग अेकला है
म्हारली दांई
३
टाबरपंणै री
कोथळी झड़काय
जुवांनी रौ दग्गड़
चक्यां फिरै आजकलै
म्हारौ अेकलपौ
४
म्हैं जागूं
पंण
होळै सीक
पसवाड़ौ फोर्यां सूत्यौ है
म्हारै भीतर अेकलपौ
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