Wednesday, April 7, 2010

बापू




बापू


थे हा
जद ई
घंणी बरियां
मां ठुसका भरती
सिसकती
हाल थे कोनी
तौ ई
मां री आंख्यां बगै
धारोळा बंण नै
बियां ई।


थांनै गुजर्यां
बखत हुयग्यौ
पंण हाल ई
रोज सिंझ्या
बारंणै मांय लोटौ ढाळतां
उडीक रैवै
'लोटौ ढाळ दियौ कांई बेटा ?`


ओळ्यूं रै मिस
थे आवौ
बोलौ
बतळावौ
सोचूं...
आ सिरधा है
का संस्कार !


म्हैं घूमंण जावूं
रोज भखांवटै ई
चिड़ियां सारू
तगरै मांय पांणी घालूं
गाय रै सींगां बिचाळै खाज करूं
होकौ भरंनै राखूं
हताई मांय
सौ कीं करूं बियां ई
थारली दांई
पंण खंखारौ करंनै
घरां बावड़ूं
तौ
केई ताळ तांई
मां म्हारौ
मूंडौ जोंवती रैवै।

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